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१९४.
श्रीरायचन्द्र-जिनागमसंग्रहे
शतक १०:-उद्देशक ३. ६. [प्र०] महिद्दीए णं भंते ! देवे अप्पड्डियस्स देवस्स मज्झमज्झेणं वीईवएज्जा ? [उ०] हंता, वीइवएजा ।
७. [प्र०] 'से भंते ! किं विमोहित्ता पभू, अविमोहेत्ता पभू? [उ०] गोयमा ! विमोहेत्ता वि पभू, अविमोहेत्ता वि पभू।
८. [प्र०] से भंते ! किं पुष्विं विमोहित्ता पच्छा वीइवएजा, पुष्विं वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा ? [उ०] गोयमा! पुविं वा विमोहेत्ता पच्छा वीइवएजा, पुचि वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेजा। .
९. [प्र०] अप्पडिए णं भंते ! असुरकुमारे महड्डियस्स असुरकुमारस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? [उ०] णो इणढे समटे । एवं असुरकुमारेण वि तिन्नि आलावगा भाणियधा जहा ओहिएणं देवेणं भणिया । एवं जाव थैणियकुमारेणं, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएणं एवं चेव ।
१०. [प्र०] अप्पहिए णं भंते ! देवे महिड्डियाए देवीए मझमझेणं वीइवरजा ? [उ०] णो इणटे समढे।
११. [प्र०] समड्डिए णं भंते ! देवे समड्डियाए देवीए मझमझेणं० ? [उ०] एवं तहेव देवेणं य देवीए य दंडओ माणियचो, जाव वेमाणियाए।
१२. [प्र०] अपड्डिया णं भंते ! देवी महड्डियस्स देवस्स मज्झमज्झेणं० ? [उ०] एवं एसो विततिओ दंडओ भाणियचो, जाव [प्र०] 'महिहिया वेमाणिणी अप्पड्डियस्स वेमाणियस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा ? [उ०] हंता, वीइवएज्जा'।
१३. [प्र०] अप्पहिया णं भंते ! देवी महड्डियाए देवीए मझमझेणं वीइवएजा ? [उ०] णो इणटे समटे । एवं समडिया देवी समड्डियाए देवीए तहेव, महिड्डिया वि देवी अप्पड्डियाए देवीए तहेव, एवं एकेके तिन्नि तिन्नि आलावगा
महदिक देव अप.. ६. [प्र०] हे भगवन् ! महर्द्धिक-महाशक्तिवाळो देव अल्पशक्तिवाळा देवनी वचोवच थईने जाय ? [उ०] हा, गौतम ! जाय. दिक देवनी वच्चे ' थईने जाय?
७. [प्र०] हे भगवन् ! ते महर्द्धिक देव शुं ते अल्पशक्तिवाळा देवने विमोह पमाडीने जइ शके के विमोह पमाड्या विना जइ शके ? मासिक देव मल्प किन [उ०] हे गौतम ! विमोह पमाडीने पण जइ शके अने विमोह पमाड्या विना पण जइ शके. डीने जाय के ते शिवाय जाय। ८. [प्र०] हे भगवन् ! ते महर्द्धिक देव शुं पूर्वे विमोह पमाडीने पछी जाय के पूर्वे जाय अने पछी विमोह पमाडे महरिक देव मोह गौतम ! ते महर्द्धिक देव पहेलां विमोह पमाडीने पछी जाय, के पहेला जइने पछी विमोह पमाडे. पमाडीने जाय के जाई. ने मोह पमाडे? ९. प्र०] हे भगवन् । अल्पशक्तिवाळो असुरकुमार महाशक्तिवाळा असुरकुमारनी वचोवच थइने जइ शके। उ०] हे गौतम ! अमरकुमार आ अर्थ योग्य नथी. ए प्रमाणे सामान्य देवनी पेठे असुरकुमारना पण *त्रण आलापक कहेवा. ए प्रमाणे यावत् स्तनितकुमार सुधी कहेवू.
तथा वानव्यंतर, ज्योतिष्क अने वैमानिक देवोने पण ए प्रमाणे कहेवू.
अल्पर्दिक देव मह. १०. प्र०] हे भगवन् ! अल्पशक्तिवाळो देव महाशक्तिवाळी देवीनी वचोवच थइने जाय ! [उ०] हे गौतम ! ए अर्थ योग्य नथी; दिक देवीनी वच्चे
थाने जाय! अथात् न जाय. समर्दिक देव समा
११. [प्र०] हे भगवन् ! समानशक्तिवाळो देव समानशक्तिवाळी देवीनी वचोवच थइने जाय ! [उ०] हे गौतम ! ए प्रमाणे पूर्वनी ढिक देवीनी बच्चे पेठे देवनी साथे देवीनो दंडक कहेवो, यावत् वैमानिक सुधी जाणवू.
थईने जाय! अल्पविक देवी मह. १२..प्रि०] हे भगवन् । अल्पशक्तिवाळी देवी.महाशक्तिवाळा देवनी वचोवच थइने जाय ! [उ०] हे गौतम ! न जाय, ए प्रमाणे दिक देवनी बच्चे
' अहीं त्रीजों दंडक पूर्व प्रमाणे कहेवो; यावत्-प्र०] 'हे भगवन् ! महाशक्तिवाळी वैमानिक देवी अल्पशक्तिवाळा वैमानिक देवनी वचोवच मादिक वैमानिक थइने जाय ! [उ०] हा, गौतम | जाय.' भल्पर्धिक देवी मह. १३. [प्र०] हे भगवन् ! अल्पशक्तिवाळी देवी मोटी शक्तिवाळी देवीनी वचोवच थइने जाय ? [उ०] हे गौतम ! आ अर्थ योग्य खिक देवीनी बच्चे
नथी. ए प्रमाणे समानशक्तिवाळी देवीनो समानशक्तिवाळी देवी साथे, तथा महाशक्तिवाळी देवीनो अल्पशक्तिवाळी देवी साथे ते प्रमाणे समर्थिक देवी सम• आलापक कहेवा, अनेए रीते एक एकना त्रण त्रण आलापक कहेवा. यावत्-[प्र०] 'हे भगवन् ! मोटीशक्तिवाळी वैमानिक देवी अल्पशक्तिवाळी सिंक देवीनी साये.
देवी.
१से गं भं-घ। २-कुमारे विघ। ३-कुमाराणं घ। ४ देवीण य ग-ध। ९.१ अल्पर्दिक साथे महर्दिक, २ समर्द्धिक साथे समर्द्धिक, अने महद्धिक साथे अल्पचिकना-प्रण आलापक जाणवा.
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