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________________ द्विक्संयोगादि विकल्पो. संख्याको द्विकसंयोगी विकल्पो. Jain Education International १५२ श्रीरायचन्द्र - जिनागमसंग्रहे शतक ९३२. । नयण्डं नवरं एकेको अम्मदियो संचारेयो, सेसं तं चेय अपच्छिम आठावगो-अहवा चत्तारि रवणप्पभाष पगे सकरण्पभाष जाव एगे असत्तमाए होज़ा । - २१. [प्र०] संखेजा भंते! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा० पुच्छा । [ उ०] गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा; जाव असत्तमाए वा होजा । अहवा एंगे रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होजा; एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेजा असत्तमाए होला । अहचा दो रचणप्पभाष संखेजा सरप्यभार होजा एवं जाय भवा दो रयणप्यभार संवेजा आहेसत्तमाए होजा । अहवा तिन्नि रयणप्पभाए संखेजा सक्करप्पभाए होजा । एवं एएणं कमेणं एक्केको संचारेयवो, जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होजा । एवं जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा । अहवा संखेजा 1 अथवा एक रत्नप्रभामा अने नय शर्कराप्रभामां होय इत्यादि द्विकसंयोग [तथा त्रिसंयोग, चतुष्पासंयोग, श्यंचकसंयोग, पसं योग] यावत् सप्तकसंयोग म मच नारकनो को तेम दस नैरपिफनो पण जाणवो. परन्तु विशेष एछे के एक एक नैरधिकनो अधिक संचार करवो. बाकी बधुं पूर्व प्रमाणे जाणवुं तेनो छेल्लो भंग- अथवा चार रत्नप्रभामां एक शर्कराप्रभामां यावत् एक अधः सप्तमनरकमां होय. २१. [प्र०] हे भगवन् संख्याता नैरविको नैरधिकप्रवेशनकवडे प्रवेश करता झुं रत्नप्रभामां दोष इत्यादि प्रश्न. [30] हे गांगेय 1 **संख्याता नैरविको १ रत्नप्रभामां पण होय अने यावद् ७ अधः सप्तम पृथिवीमां पण होय. [ एक संयोगी सात विकल्प थया. ] १ अथवा एक रत्नप्रभामां होय अने संख्याता शर्कराप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावत् ६ एक रत्नप्रभामां होय अने संख्याता अधःसप्तम पृथिवीमां पण होय. [छ विकल्प थया. ] १ अथवा ये स्वप्रभागां अने संख्याता शर्कराप्रभामां होय. ए प्रमाणे यावत् ६ वे रत्नप्रभामां अने संख्याता अधः सप्तम पृथिवीमां पण होय. [छ विकल्प थया. ] १ अथवा त्रण रत्नप्रभामां अने संख्याता शर्कराप्रभागां होय. ए दश संख्याना १–९ इत्यादि द्विकयोगी नव विकल्पो थाय, तेने सात नरकना द्विकसंयोगी एकवीश भांगा साथे गुणतां १८९ विकल्पो थाय छे. + दश संख्याना १-१-८ इत्यादि त्रिकयोगी ३६ विकल्पो थाय छे. तेनी साथे सात नरकना त्रिकसंयोगी पांत्रीश विकल्पोने गुणतां १२६० भांगा थाय छे. + दश संख्याना चतुष्कयोगी १-१-१-७ इत्यादि ८४ विकल्पो थाय, तेनी साथे सात नरकना ३५ भांगाने गुणतां २९४० भांगा थाय छे. १-१-१-१-६ इत्यादि १२६ विकल्पो थाय, तेने सात नरकना पंचसंयोगी एकवीश भांगानी साथे गुणतां २६४६ $ दशसंख्याना पंचयोगी भांगा थाय छे. ॥ दशसंख्याना षट्कयोगी १-१-१-१-१-५ इत्यादि १२६ विकल्पो थाय छे, तेनी साथे सात नरकना छसंयोगी सात विकल्पोनी साथै गुणत ८८२ भांगा थाय छे. ९ दश संख्याना सप्तयोगी १-१-१-१-१-१-४ इत्यादि ८४ विकल्पो थाय. अने सात नरकनो सप्तसंयोगी एकज भांगो थाय छे, माटे एकनी साथे गुणतां पण ८४ मांगा थाय छे. ए प्रमाणे ७-१८९-१२६०-२९४०-२६४६-८८२-८४ सर्व मळीने दश नैरयिकना ८००८ बिकल्पो थाय छे. २१. ** अहं अग्यारथी मांडीने शीर्षप्रहेलिका सुधीनी संख्याने संख्याता जाणवा. तेमां एकयोगी सात ज विकल्प थाय छे. द्विक्संयोगमां संख्यातानां वे विभाग करतां एक अने संख्याता, बे अने संख्याता, यावत् दश अने संख्याता - ए रीते दश विकल्प, तथा 'संख्याता' अने संख्याता मळीने अगीयार विकल्पो या उपरी भादि पृथिवी साथै एकभी आरंभी सुधीना अगीवार पदनो संचार करवायी बने नीचेनी रामादिसाधे केवळ संख्यात पदनो संचार करवायी वा एथी विपरीत उपरनी पृथिवी साये 'संख्यात' पदन भने नीचेनी पृथिवी साधे एकादि पदनो संचार करी मांना भाव से विवक्षित नवी अर्थाद-एक नेता शर्कराप्रभामा एक रनप्रभामां ने संख्याता लुभायां याद करवा, पण संख्याता रत्नप्रभामां अने एक शर्कराप्रभामां, संख्याता रत्नप्रभामां अने एक वालुकाप्रभामां होय इत्यादि विकल्पो न करवा, केमके पूर्वना सूत्रोमां आज क्रम विवक्षित छे. आगळना सूत्रोमां दश वगेरे राशिओना बे भाग करी एकादि लघु संख्याओने पूर्वे मूकी छे, अने नवादि मोटी संख्याओने पछी मूकी छे, अर्थात् 'एक रत्नप्रभामा अने नव शर्कराप्रभामां' - ए प्रमाणे कर्तुं छे. पण 'नव रत्नप्रभामां भने एक शर्करा प्रभामां' एवा कोई विकल्पो जणान्या नयी. ए प्रमाणे आपण उपरनी नरकादिनी साये एकादिवानी, अने नीचेनी तरकथायेशिनो संचार को पानी भरक साथेनी संख्यातराशिमांथी एकादि संख्याने ओछी करवामां आवे तोपण संख्यात राशिनुं संख्यातपणं कायम रहे छे. तेमां रत्नप्रभानी साधे एकथी आरंभी संख्यात सुधीना अगीयार पदोनो अने बाकीनी पृथिवीओ साथे अनुक्रमे 'संख्यात' पदनो संचार करतां छासठ भांगा थाय छे संख्याता. एक. १ रन० २ ३ तमतमा० आ प्रमाणे बे अने संख्याता - इत्यादि दश विकल्पना बीजा साठ भांगा मळीने रत्नप्रभाना संयोगवाळा ६६ भांगा जाणया मरसियेोग करतां पांच विकल्प धाय, रोने पूर्वीच अगीदार विकल्प साधे गुण वालुकाप्रभाना चुम्माळीस, पंकप्रभाना तेत्रीश, धूमप्रभाना बावीश अने तमः प्रभाना भगीयार विकल्पो थाय छे. बघा मळीने द्विकसंयोगी बसोने एकत्रीस विकल्प थाय छे. शर्कराप्रभानो बाकीनी प्रभाग ५५ मासे प्रकारे संख्याता. शर्करा " वालुका ० पंक ० एक. ४ रन० ५ ६ For Private & Personal Use Only धूम० तमा० www.jainelibrary.org
SR No.004642
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherDadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust
Publication Year
Total Pages422
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size15 MB
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