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शतक २.-उद्देशक ६
भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र,
२९३
ई एम मान के भाषा ए अवधारणी छे । आ प्रमाणे सूत्रना क्रमपूर्वक अहीं आ भाषापद कहेवू अने ए भाषापद प्रज्ञापना सूत्रमा अग्यारसुं छे. प्रशापना.
संक्षिप्त माहीती श्रीप्रज्ञापना सूत्रना अग्यारमा भाषांपद (क. आ० पृ० ३६०-३९०) उपरथी उदरी छे. बळी भाषाविषे सरलताए माहीती मळे ए माटे एक कोष्टक पण आप्युं छे. ते आ छ:
भाषाविचार कोष्टक.
अणुओ
भाषाना भाषा- भाषानी भाषानो भाषानो भाषाने बोलनारा भाषाने नहीं बोल- भाषाप्रहणनो केवो भाषाने मूकवानो भाषानां प्रकार. | मादि | उत्पत्ति घाट अंत क्या? कोण अने | नारा कोण अने | अने केटलो । केवो भने केटलो |
क्यांची कारण ! शाथी! केवो! केटला? केटला! काळ!
काळ? मळे!
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| जीव. शरीरथी. वजनी | लोकने पर्याप्त मनुष्यो, नैर- अपर्याप्त जीवो, केवो-सांतर अने नि- केवो-सांतर. | - जेवो. । छेडे. | यिको, असुरकुमारो, सिद्धो, शैलेशी प्रति- रतर. केटलो सांतर- केटलो सांतर-ओ-दिशामा
स्तनितकुमारो, ज्यो- पन्नजीवो अने एक ओछामा ओछो एक छामा ओछा ये थी. तिषिको, वैमानिको | इंद्रियवाळा जीवो. समय अने पधारेमा समय भने वधारे. भने सुशिक्षित तिर्य-| भाषाने नहीं बोल- वधारे असंख्येय सम- मां वधारे असच पंचेंद्रियो. सत्य- | नारा जीवो अनंत य.केटलो निरंतर-ओ- ख्येय सामयिक भाषी सौथी
छामो ओछा बे समय अंतर्मुहूर्त. थोडा छे.
अने वधारेमा वधारे असंख्येय समय.
"
असत्य भाषा.
|
"
असत्यभाषी पूर्व करता असंख्य
गुण छे.
सत्यमृषा
, |
, |
" "
भाषा.
, सत्यमृषाभाषी पूर्व करतां असंख्य
गुण छे.
असत्यभ-
,
"
|
मृषा
भाL.
बे इंद्रियवाळा,त्रण इंद्रियवाळा, चार इंद्रियवाळा अने अशिक्षित पांच इंद्रियवाळा तिर्यच असत्यअमृषाभाषी पूर्व करतां असं. ख्यगुण छे.
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