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तरंगलोला
भत्थिं बहु-सास-निचिओवबगय-परचक्क-चोर-दुब्भिक्खो। भंगो नाम जणवओ वयंसओ मज्झदेसस्स ॥२९३ जस्स य पवरा नयरी(?) रम्म-वणसंड-मंडिउज्जाणा । अणलिय-एगपुरी सा पुरवर-गुण-संपया चंपा ॥२९४ तत्थ बहु-गाम-जणवय-नगरोभय-तड-समाउला रम्मत । अंगेसु पिच्छल-पुलिणा विहंग-संघाउला , गंगा ॥२९५ कायंब-कुंडला हंस-मेहला चक्कवाय-थण-जुयला । वच्चइ सायर-घरिणी फेणा-पंगुत्ति-पावरिया ।।२९६ वणहत्थि-मत्त-दंत-प्पहर तडपायव-बरि(?)-कूला । वणमहिस-वग्घ-दीविय-तरच्छ-कुल-संकुलुदेसा ॥२९७ चक्काइं जमल-जूहाई जत्थ आपक्क-कलम-कविलाई। सोहंति · जमल-जुयलिय-पिएक्कमेक्काणुरत्ताई ॥२९८ जत्थ धयरट्ठ-सारस-सराडि-कायंब-हंस-कुरर-कुला । अण्णे य सउण-संघा रमंति सच्छंद-वीसत्था ॥२९९
तत्थ सहि चकवाई अणंतर-भवे अहं इओ आसि । कप्पूर-भंग कंपेल्ल-सरस(?)-निह पिंजर-सरीरा ॥३०० तत्थ य माणुस-जाइं सरामि तत्तो अणंतरं पत्ता । जाइ-गय-माण-सुह-संपयाहिं रत्ता सउण भावे ॥३०१ नवरि य एस विसेसो(?) संसारे होइ सव्व-जोणीसु । जाई सरंति जीवा संपय-सुह-मोहिया संता ॥३०२ सच्छंद-सुह-पयारे तत्थ य सच्छंद-साहियव्वम्मि । गाढा आसि रया हैं वयंसि चकाय-भावम्मि ।।३०३ मयाण वि जीव-लोए चिंतिज्जंतो न तारिसो अस्थि । रागो विलीय-रहिओ जारिसओ चकवायाणं ॥३०४
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