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तस्स (?) य बालिया हं ओयाइय लद्धिया पिया घरिणि । अट्टह पुत्ताणं मग्गेण कट्टिया जाया ॥ १०२ सुह- वड्ढियाए य गए अविमाणिय- दोहलाए किर काले । सीह - सुइणमि जाया सु-परिग्गहिया य धाईहिं ॥ १०३ तो मित्त-बंधवाणं जाओ अच्चंत किर पमोओ त्ति । वद्भावणयं च कयं मह जम्मे अम्म- ताहिं ॥ १०४ सध्वं च जाय-कम्मं कयं किर महं. जहाणुपुव्वीए । नानं च बंधवा पिउणो सोऊण कासी य ॥१०५ इणमो पत्राययभियं (?) तरंग-भंगाउलाए जउगाए । ओयाइएण दिण्णा तो होउ तरंगवइय त्ति ॥१०६ मुट्ठी बंधण-सीला आयासं पायह णो ंति । उत्थल्ला किर सयणे उत्ताणय-सज्जिरी अच्छं ॥१०७ तो अंक खीर-धाई - जणेण कीडतरेण केणं पि । रंगाविया अहं किर नाणा- मणि कोट्टिम - तलेसु ॥ १०८ खेल्लया किर मज्झं घरिणी सोवणिया खिणिक्खिणिया । अप्फोडण वज्जं किर कणय-घण फडक्या आसि ॥ १०९ निच्च पहसिय-मुइया 'इओ इओ एहि' बंधव जणस्स । अंकेसु रमंती फिर करे मि हासुल्लए बहुएं ॥ ११० असिरि(?) कयाओ किर मए जणस्स अच्छी- सुहत्थ- सण्णाओ । मम्मण - महुर-पलावे तत्थ य भ ( ? )णिया करेमि अहं ॥ १११ अंक-परंपर-वूढा अम्मा पिइ भाइ सयण-वग्गेणं । कालंतरेण केण - इ चंक मिउमह पवक्ता मि ॥ ११२ अव्वत्तय-मंजुलयं अकलियं (?) 'तातओ ' त्ति जंपंती । बंधव जणस्स पीई पीवरतरियं किर करेमि ॥११३ निव्वत्त-चोल-कम्मा चेडीया चक्कवाल- परिकिण्णा । हिंडामि जहिच्छाए... पयई हिं मे कहिये ॥११४ कणयमय· पुत्त-धी उल्लएहिं (?) पंसु - घर उल्लएहिं य रमामि । सहिया- यणेण सहिया बालय- केलि अणुभवामि ॥ ११५ गव्भट्टमम्मि वरिसे अह मे बुद्धि-चउव्विहोवेया । आणीया आयरिया कला गुण-विसारया आलेक्खं लेह गणियं रूवं गीय - वाइयं न । पत्तच्छेज्जं पुक्खर गयं च कमसो य गिण्हामि ॥११७ निउणं च पुण्फ जोणि निउणं तह गंध- जुत्ति -सत्थं च । विविहा अभिरमणीया कालेण कलाओ गहियाओ ॥ ११८ कण्णा चैव सकण्णा कया मि अभिओवम जिण - मम्मि । पिडणा कुल- धम्मममुंचमाणेणं ॥ ११९,
धीरा ।। ११६
सावग-धम्मं
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तरंगलोय
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