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- तरंगलोला
तेण य समणेणाहं समप्पिया वंदणथमायाए । नामेण य बालचंदा-गणिणीए सा उ सिस्सिणिया ॥ (४१८) नामज्ज चंदणा[ए] भणिया य तुहेस [सि]स्सिणी होही। सा म धेतूण गया नियासममहत्थमइ सूरो ।। (४१९) तत्थ य गणिणीए समं आलोइय-निदिया पडिक्कता । धम्माणुराग-रत्तागय पि रत्ति न-याणामि ॥ (४२०) सो चिय मुणि-वसभ-गुरू सत्था[ह] सुएण [तेण] संजुत्तो । अनियय-वसहि-विहारो कत्तो वि गओ विहरमाणो ।। (४२१) एयच तरंगवई कहिय घरिणी सुणित्त संविग्गा । सा गिण्हइ गिहिधम्म सरुणीहि समं जिण-दिटुं । (४२२) भिक्ख च पित्तु ठाणं सह खुड्डीए गया तरंगवई । समयम्सि समुप्पाडिय केवल-नाणा य सिद्ध त्ति ।। (४२३) स-गुरू य पउमदेवो सिद्धो अह घरिणि-सेट्ठि-सत्थाहा । उदयण-राया य गया काले[ण] देवलोयं ति ।। (४२४) एवं च कूणिओदयण रज्ज-कालोब्भवा तरंगवई । वीसमइ कहा रम्मा भद्दा भहेसर-सूरि-रइय त्ति ।। (४२५)
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