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________________ तरंगलोला इणमो य तेण ७४९ ५७१ इणमो य मज्झ १४६० इणमो य वाय- पयलिय ● इमो य सरस- केसर • इणमो लोए वि सुई ४९७ इय अस्थि भरहवासे ८६ इ घरि लेह ७६७ इयतासि निग्गमणं २०४ इय तीए सिट्ठ- मेले ६२८ इय भाणिऊण य ४३७ इय भाणिऊणं ४११ इय मे चिंता जाया ५२४ इय-अक्कमक्क • ३१३ इराण हियट्ठाए ९ इय सवह- परिग्गहिया २८७ इय सेट्टिणीए १२८१ यहं तीय सकरुणं ४०२ इह नाणा-भव ० १३६१ इंदिय-गुण-संजुत्तं १३१९ इंदिय - सरीर १३५४ इसा - रोस - विरहिए २६४ ई सीप भाराए १३६४ ६२५ ईसोवसंत - सोगा ६५४ उओ बंधुवजीवय उइओय विलिंपतो ५३१ उउय(?)-पुप्फ-समिद्ध १३७ उक्कुट्ठी- हसिय १०५३ उग्ग उवसग्ग-सहं १३११ उग्गायt व्व महुयरि २५८ उग्घाड - करेण य ११४० उच्चत्तर(?)-मंसोरू ३३२ उच्चा दढ़-प्पहारी १३७८ उच्छाह-निच्छिय-मती ७९४ उज्जाण-गमण • ० ० १९३ उज्जाण पउमसर ० ७२५ उठेऊण तत्तो २७० Jain Education International १०६ उड्डदूस - महुयरि उड्डाविया अणेगा ३२७ उड़डेंती उल्लेती ३५३ उन्हं विणिस्ससंती ६४३ उहाणि निस्ससंतो ७२८ उत्तम - कुल-सूओ ४२४ उत्तम्ताउ १५५७ उत्तुंग-धवल-पायार ० २२७ उप्पड ( १ ) निहि मे १५६ उम्भ-वयणेो थद्धो ६९६ उभओ तिक्खग्गाओ ४५६ ० उभओ-पास समुट्ठिय १२०७ उवओग-जोग - इच्छा १३२६ उवगय- न्हाण- पसाहण ६५१ उवगंतून य पाए १५०५ o " " ५४० उवगूहण-पत्तट्ठा ९९८ उवनिग्गया मि सहसा २०८ उवयार-भरक्कता १२३८ उवरिं अणुत्तराणं १३६२ वारं पिहिमाणो (?) ३२८ उववास दाणमइयं ४६५ उस्सविय-करस्स ३२६ ऊरू- निरंतर - कोपर ० ७६८ एएण कारणे ६१ 22 For Private & Personal Use Only ० ४७९ एए पुव्व-कयाणं ४०० एएह सत्तिवण्णं २२९ एक्क- समएण वच्चइ १३६० एक्कंगिय प ज १५५३ एक्केण तत्थ भणिय ६१६ एक्के धवलघरे ९३९ एक्कोत्थ नवरि दोसो १४८९ एत्थ भणइ चोरी ९५६ एते अज्झवसाणेण १३३९ अट्ट विहाणाए १३४४ २११ www.jainelibrary.org
SR No.004633
Book TitleSamkhitta Taramgavai Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages324
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Literature
File Size13 MB
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