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________________ तरंगलोला तत्थ xx.. सायर-भारियाए गगाए गुत्त-पागारा । बारवती . व पहाणा नयरी वाणारसी नामं ॥१४२१ तत्थेव वाणिय-जगो माणोवज्जिय-महंत-विणय-गुणो । एक्कल्लओ वि कोडीय देज्ज गेण्हेज्ज वा भंडं ॥१४२२ जत्थ य रंगण(?) नरवइ-पहेसु तुंगत्तणेण भवणाण । सूरो पेच्छइ गयणयल-विवर मज्झागओ भूभी ॥१४२३ तत्थ य अहं च जाओ रुद्दजसो नाम नामधेग्जेण । लेहाई य कला मे कमेण उवसिक्खिया विविहा ।।१४२४ मज्झय(?)-विणासय मे लोगासंगे अकित्ति-पासंगे । जूए आसि पसंगो आसंगो सव्व-दोसाण ।।१४२५ जेण वि कूडिय-रुद्दा लाभ-वस-गया अ-साहुणा पुरिसा । उव्वासिय-सव्य-गुणा बहु-भेय विणासणमुर्वेति ॥१४२६ संपइ मयतण्ह-समं जूय मज्झ अणुबद्धमाणस्स । कुल-पञ्चयस्स उक्का चोरिक्का बाहिढिया(?) काउं ॥१४२७ अक्खेवय(?)-संधिच्छेयण-पयास-घर घाय पंथि-घाय-रओ । निययावराह-कारण-सयण-जण-दुगुंछिओ जाओ ॥१४२८ पर-धण-हरणे बुद्धी उप्पण्णा जय-वसण-पच्छस्स । लोभ-गहस्स वासं रत्ति हिंडामि असि-हत्थो ॥१४२९ नगरोए विण्णाओ पायड-दोसो त्ति ताणमलभंतो । खारोय नामाओ विंझ-गिरि-कुडुबिणि अडवि ॥१४३० सावय-कुल-सय-सरणं गयगण सउणगण चोरगण थतिं । नाणा रुक्ख-गणुव्विद्ध-बहल तम-अंधकार-मती ॥१४३१ विंझगिरि-परिविखत्तं एक्कदार विसमं गओ अहयं । पल्लि तत्थ महल्लि सीहगुहं नाम नामेणं ॥१४३२ वाणियग-सत्थिय-जण-परिलुंचिरेहिं तह वहु-दुट्ठ-कारीहिं। पर-धण-हरण रएहिं भरिया चोरेहिं वीरेहिं ॥१४३३ अच्छीओ विरहेज्जा णु(?) अंजण वंचणाहिं बहुयाहिं । हरणोपाय-विहिण्णू ववगय धम्माणुकंपा य ॥१४३४ केई बंभणोसमणे महिलाओ वालए य(?) थोरे य । अबले [य] परिहणंता सूरा सूरेसु पभवंति ॥१४३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004633
Book TitleSamkhitta Taramgavai Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages324
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Literature
File Size13 MB
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