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चंदनबाला १ चंदनबाला (वसुमति) एक राजकुमारी थी।
कर्मके अनुसार राज मे लुट चली राज पिता चले गये माता धारिणी और चंदना कु कोइ दुष्ट सैनिक उठा के चले गये।
- कर्मकी गति विषम है पलमे रक, पलमे राय बनानेकी ताकात कर्ममे ही | चंदना कु भर बाजार में बिक दी, लेनेवाले पुन्यशाली धर्मिष्ट धनावह शेठ मिले इतने कष्ट मे भी एसे शेठ मिलने से चंदना को खुशि प्राप्त हुई लेकिन चंदना को देख के मूला शेठानी
बहुत जल रहती थी . २ एक दिन की बात हे शेठ घर पे आये शेठानी घर पे नही थे
चंदना पग धोने लगी । शेठ उनका पानी में गिरे हुए बाल उपर करे मूला उस दृश्य कु देख शकित हुइ, कोइ शंका के कारण नही
थे शेठ उन कुं पुत्री समझते थे । ३ तो भी मूला माता उन कुं कष्ट मे डालनेका प्रयास करे । निर्दोषबाला का सिर मुंडन कर के हाथ पांव बेडी डाल के नीचे
भोयरा मे रख दी तीन दीन तक शेठ कु मालुम नही पडे । ४ तीसरे दिन देठ कु मालुभ हुवे बहुत दुख हुवे लुहार कु बुलाने कु
गये पहेले उनकु खाने के लिये सूपडे के कोने ऊडद बाकुला दे के गये । ५ तब चंदना शोच रही कोइ भिक्षुक मिले तो देके भोजन करु' तब
चना के बडे भाग्य से परमात्मा महावीर देव पांच महीना और पचीश उपवासी हुए भोजन के समय चंदना के घर पे पधारे लेकिन
आंखो मे आंसु नही देखते वापीश लौटे । फिर चंदनाके आंखोंमे आंसु देखते ही प्रभु पधारे और ऊडदका बाकुला प्रमु का व्हेराये साडावारह करोड सोनैया की वृष्टि हुइ ।
धन्य सती चंदनबाला
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