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श्री आचार्यपद वन्दना ॥३॥
जे पंचविहायारं,
__ आयरमाणा सया पयासंति । लोयाणणुग्गहत्थं,
ते आयरिए नमसामि ॥१॥
जे निच्च मप्पमत्ता,
विगह विरत्ता कसायपरिचत्ता। धम्मोवएस सत्ता,
ते आयरिए नमसामि ॥२॥
अत्थमिए जिणसूरे,
केवलि चंदोवि जे पईवुव्व। पयडंति इह पयत्थे,
ते आयरिए नमसामि ॥३॥
- सिरिसिरिवालकहा ॥
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