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एका श्रीमाविजतागुरु यो नमः श्री वर्धमान जिनवर माना तनोमि बाल यो
पात वाली रूपं विवरणामुपदेशमालादाश्रीत या मरोजर
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निर्वादिव सुंदर गुरुकम रेणु। ग्रावर्ग विहिनाग्री सोमसुंदर गुरु असते ॥ २तवा दि॥मिक एजिवार दे। इंदनरिदचिएतिलो लेमिंगोचाभिगुरूवर मे जिनवरेंद्र श्रीती करदेवन कि दीमक मोए उपदेश नीनामिबोल गुरु श्रीती कर रारादिकृतेन पदे सिबुद्धि इंजिन वारं किया । इंदनार सिए। इनार तिवा सादवप्रमुखम रविन प्रतिवर्तविली कि ज्यातिल मिर्च पाताल रूपजे चिनि लोन ते हायु सम्यक् मो नाता प्रदेश पदार तप दिली गाधाया बिल आचार्यनीकीधी संबंध जो निवासी अदश्री धर्मदास गारिमंगलीक सीप दिलाचन वीस नाती कराउन राजगडामा बसतो की पोतिलो सिरितिलंग एगो लगाइयो एगोचरति स्म। सत्तो का ही श्रीञ्चादिनाघते निस्सा देउ राजगडावलिदा जगदात्मक लोकात न कूड़ामणिमुकुट समानपदवीश्री महावीर निवातिलोंग सिरिति लौड विला श्रीचितुवनं लक्ष्मीद नई तिल कसरी उवज्ञ तिल कि करी जिममुख शत तिनगरमेश्वर श्रीमदादीरक रीत्रिभुवनेश शताएग लोग खोपक श्री आदिनाव लोक आदित्य समान लइ जिम सातस यादित्यसरी सकल किया मात्र । तिमयुगन खुरिया दिनावकारी सकल लोक वावदार गोचरकृति यणस्सा एक श्री महावीर चवनश्व नीलो समान के जिम लो अनिक सकलपादा कानदुतिमा महावीर बोलि माजे निती करी राजीव इंसक लव का निती करी सहा जीव इंसक लता का श्राद नागवकार इत्राणीश्री आदिनाघना मलिन आदित्य नाउ पमानदीचन श्रमदावरी जि कॉलिंकड़ा जयवंता बनी एक श्रीमदाचोरकर, तिलकञ्चन इलोचना पानी संग्रह कारन तिशाच ॥ पर लड़े मंगलीक गीतपनने पद या दीवारमुसत जियो दन्तानाव हमारी जि पाउँदी । इयदि दरिश्रानि रसाएउ चमाल इसे व सरवर सदी समन जि ઉપદેશમાલા બાલાવબોધ'ની સં.૧૫૨૭માં લખાયેલી હસ્તપ્રત (ખ)નું પ્રથમ પાનું.