________________ दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् 285 प्रतिमा वाले साधु को यदि कंटकादि / प्रथम सप्तरात्रि की प्रतिमा का लग जावे, उसको न निकलाने सविस्तर वर्णन का वर्णन 256 / द्वितीय सप्तरात्रि की प्रतिमा और ... प्रतिमा वाले साधु की आँखों में यदि / तृतीय सप्तरात्रिकी प्रतिमाओं रज आदि पड़ जावे तो उसको न का सविस्तर वर्णन 277 निकालने का वर्णन 260 | अहोरात्रिकी प्रतिमा का सविस्तर वर्णन 280 प्रतिमा वाले साधु को विहार करते हुए जहाँ | एकरात्रिकी भिक्षु-प्रतिमा का सविस्तार पर सूर्य अस्त हो जाए उसे वहीं ठहर | वर्णन 28 जाना चाहिए तथा प्रातःकाल में जिस | | एक रात्रिकी भिक्षु प्रतिमा के सम्यक्तया ओर मुख हो उस ओर ही विहार करना | न पालने का फल . 284 चाहिए, इस विषय का वर्णन 261 | एक रात्रिकी भिक्षु-प्रतिमा के सम्यकतया / सचित्त पृथिवी पर निद्रादि न लेनी पालने का फल चाहिए तथा पुरीषादि का निरोध उक्त 12 प्रतिमाएँ स्थाविरों द्वारा प्रतिपादित न करना चाहिए 264 | की गई हैं : 287 सचित रज से यदि शरीर छु जाय तो उस समय गृहस्थों के घरों में / - अष्टमी दशा आहार को न जाना चाहिए 266 / श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के पाँच प्रतिमा वाले साधु को हाथ मुँह आदि कल्याणकों का वर्णन 286 न धोने चाहिएँ, किन्तु मलमूत्रादि की शुद्धि जल से अवश्य करनी नवमी दशा चाहिए 268 | चंपा नगरी में भगवान् का विराजमान प्रतिमा वाले साधु के सामने यदि अश्वादि / होना 265 जीव आते हों, तो उसे पीछे न हटना - चाहिए, यदि भद्र आते हों तो उसे __भगवान् का साधु और साध्वियों पीछे हट जाना चाहिए 266 | को आमंत्रित कर 30 महामोहनीय प्रतिमा वाला साधु धूप से उठकर कर्मों का वर्णन करना ___ छाया में न जाए और छाया से - उठ कर धूप में न जाए 271 | पहल महामाहनाय कम का वर्णन 268 मासिक प्रतिमा सूत्रानुसार पालन करे 266 दूसरी प्रतिमा से 7 वी प्रतिमा ... .... 300 पर्यन्त वर्णन .:. . 301 कपा दूसरे तीसरे 273 | चौथे