________________ -- - पा इस शोक-मय समाचार को पाकर प्रायः बाहर के दो हजार श्रावक आपकी अन्त्येष्टि क्रिया के लिए लुधियाना पहुंचे / तब आपके शव को स्नानादि क्रियाएं करा कर एक ! अत्यन्त सुन्दर विमान पर लिटाया गया / लुधियाना शहर की सारी जनता और बाहर के। श्रावकों ने आप का अन्तिम दर्शन किया / दर्शक लोग विस्मित इस बात पर थे कि इस समय भी आपका मस्तिष्क लाली से चमक रहा था और सारे मुख पर तेज के चिन्ह ! विराजमान थे. मत्य का एक भी चिन्ह इस पर नहीं था | आपके विमान के आगे भजन-मण्डलियां भजन गा रही थीं / साथ में तीन बाजे बज रहे थे / इस शव पर 81 दुशाले पड़े हुए थे / जिस समय शव श्मशान भूमि में पहुंचा, उस समय इसके साथ ! लगभग 10 हजार से अधिक आदमी थे | आपके शव का दाह सोलह मन चन्दन की लकड़ी से किया गया / दो मन के करीब इस चिता में छुहारे आदि मेवे डाले गये / इस | प्रकार बड़े समारोह से आपका अन्तिम संस्कार हुआ / इसमें बहुत से जैनेतर लोग भी / सम्मिलित हुए / फिर तीसरे दिन आपकी अस्थियां श्मशान घाट से लाई गईं / - अन्त में जिन भावों को लेकर आपने दीक्षा ग्रहण की थी, उन्हीं भावों से आपने मृत्यु, प्राप्त की / आपकी मृत्यु से पंजाब श्री संघ को एक अमूल्य रत्न की हानि हुई / मृत्यु। के समय आपकी अवस्था 81 वर्ष 6 महीने की थी / आपने अपने जीवन के 55 वर्ष 5 | मास और 12 दिन साधु-वृत्ति में व्यतीत किये / आपका शिष्य-वृन्द इस समय भी उन्नत ! दशा में है / आपके शिष्य श्रीश्रीश्री 1008 गणावच्छेदक जयरामदास जी महाराज हैं / / उन्होंने या उनके शिष्य-प्रवर्तक श्री स्वामी शालिग्राम जी महाराज ने तथा अन्य साधुओं ने आपकी सेवा से अत्यन्त लाभ उठाया / इन सब मुनियों ने आपके वियोग से सन्तप्त! जनता के हृदयों को सत्य उपदेशों से शान्त किया / इस जीवन-चरित्र को यहां देने का मेरा विचार केवल यही है कि जनता इससे | शिक्षा ग्रहण कर सुगति की अधिकारिणी बन सके | यदि कुछ व्यक्तियों ने भी इससे / अपने जीवन में सुधार किया तो मैं अपने इस प्रयत्न में अपने आपको कृत-कृत्य समझूगा /