________________ शब्दार्थ-कोष 275 भत्ताई-भक्तों (आहार) को भत्तारं पालन करने वाले को भत्तारस्स भर्ता, पति के लिए भत्तेणं भक्त (तेले) के साथ भदंतु कल्याण हो भयमाणस्स सेवन करने वाले. भवइ, ति=है, होता है भवंकुरा=भव-रूपी अंकुर, पुनर्जन्म रूपी ___ वृक्ष के अंकुर भवंति हैं भव-क्खएणं देव-भव के क्षय के कारण, भवग्गहणे भव-ग्रहण, बार-बार जन्म भवतु हो भसे बोलता है भाइल्लेति=(व्यापार में) हिस्सेदार भाणियब्वो कहना चाहिए भायणेण=भाजन, पात्र, बरतन से .. भाया भाई भार-पच्चोरुहणया भार-प्रत्यवरोह गच्छ के भार का निवाहना, विहार प्रतिपत्ति का एक भेद भारियत्ताए पत्नी-रूप से भारिया पत्नी भावे भाव, विचार भावेमाणाणं भावना करते हुए भासइ कहता है भासाओ भाषाएं भासा-समिया भाषा-समिति व विचार ___ और यत्न पूर्वक भाषण करने वाले भासा-समियाणं भाषा-समिति ..... का भासित्तए बोलने के लिए भासित्तए भाषण करने के लिए भिंगारं= गारी, एक माङ्गलिक कलश भिक्खं भिक्षा भिक्खु भिक्षु, अनगार साधु भिक्खुणो भिक्षा द्वारा निर्वाह करने वाले साधु की भिक्खु-पडिमं=भिक्षु-प्रतिमा भिक्खु-पडिमाओ=भिक्षु की प्रतिमाएँ भितए वैतनिक पुरुष, सेवक, नौकर भिंलिंग-सूवे-मूंग की दाल भुंजमाणस्स जीमते हुए, भोजन करते हुए के . भुंजमाणी=भोगती हुई भुंजमाणे=भोगते हुए, खाते हुए भुंजिस्सामो=भोगेंगे भुज्जतरो=प्रभूत, अधिक, बहुत भुज्जो–पुनः पुनः भूओवघाइए जीवों का उपघात ____ करने वाला भे=आपका भेत्ता भेदन करने वाला भेयाणं भेद के लिए हो भेरवं भयावह (परिषह) भो=हे, अय, सम्बुद्धयर्थक अव्यय भोए भोग भोग-पुत्ता भोग-पुरुष, विलासी मनुष्य भोग-भोगाई-भोगने योग्य भोग / भोग-भोगे=भोग्य भोगों का TA