________________ डा. सुव्रतमुनि शास्त्री ने उन आगमों को पुनः प्रकाशित कराने में रूचि ली, यह प्रसन्ता की बात है / सर्वप्रथम इनके परिश्रम से नन्दी सूत्र का प्रकाशन हुआ और अब ये दशाश्रुत स्कन्ध सूत्र का प्रकाशन करा रहे हैं / निश्चित रूप से यह प्रशंसनीय कार्य है / जिन शासन की प्रभावना एवं गुरू भक्ति का प्रतीक है / इसके लिए मैं डा. सुव्रत मुनि जी को हार्दिक आशीर्वाद देता हूँ | ये और भी अधिक बढ़चढ़ कर जिन शासन की प्रभावना करें, ऐसी मेरी मंगल कामनाएं सदैव इनके साथ हैं।