________________ Paware दशाश्रुतस्कन्धसूत्रम् दशमी दशा अब सूत्रकार इससे आगे का वर्णन करते हैं: जेणेव मज्जण-घरे तेणेव उवागच्छइ-रत्ता ण्हाया, कय-बलिकम्मा, कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ता, किं ते, वर-पाय-पत्त-नेउरा, मणि-मेखला-हार- रइय-उवचिय, कडग-खड्डुग-एगावलि-कंठसुत्त-मरगव-तिसरय-वरवलयहेमसुत्तय-कुंडल-उज्जोयवियाणणा, रयण-विभूसियंगी, चीणंसुय-वत्थ-परिहिया, दुगुल्ल-सुकुमाल-कंत-रमणिज्जउत्तरिज्जा, सव्वोउय-सुरभि-कुसुम-सुंदर-रचित-पलंब-सोहणकंत-विकसंत-चित्त-माला, वर-चंदण-चच्चिया, वराऽऽभरणविभूसियंगी, कालागुरु-धूव-धूविया, सिरि-समाण-वेसा, बहूहिं खुज्जाहिं चिलातियाहिं जाव महत्तरग-विंद परिक्खित्ता, जेणेव बाहरिया उवट्ठाण-साला जेणेव सेणियराया तेणेव उवागच्छइ, तते णं से सेणियराया चेल्लणादेवीए सद्धिं जाव धरिज्जमाणेणं, उववाइगमेणं णेयव्वं, जाव पज्जुवासइ / एवं चेल्लणा-देवी जाव महत्तरग-परिक्खित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ-रत्ता समणं भगवं वंदति नमंसति सेणियं रायं पुरओ काउं ठितिया चेव जाव पज्जुवासति / यत्रैव मज्जन-गृहं तत्रैवोपागच्छति, उपागत्य स्नाता, कृतबलि-कर्मा, कृत-कौतुक-मङ्गल-प्रायश्चित्ता, किमपरम्, वर-पादप्राप्त-नूपुरा, मणि-मेखला-हारै रचितोपचिता, कटक-खटुकैकावलिकंठसूत्र-मरगवत्रिशरक-वरवलय-हेमसूत्रक-कुण्डलोद्योतितानना, रत्नविभूषिताङ्गा, / परिहित-चीनांशुकवस्त्रा, दुकूल-सुकुमार-कान्त-रमणीयोत्तरीया,