________________ 15 करते हुए इस लघु दास ने आपके ही नाम से इस टीका का उक्त नाम रखा है / आनन्द का विषय है कि आपके नाम की महिमा से आज 'श्री गणपतिगुणप्रकाशिका' टीका निर्विघ्न समाप्त हो गई है / टीका के आधार इस टीका को लिखते समय मेरे पास एक संस्कृतटीका और दो गुजराती भाषा की हस्तलिखित अर्थ-सहित प्रतियां थीं / उन्हीं के आधार पर इस की रचना की गई है / यदि किसी अर्थ.या पाठ में सतत प्रयत्न करते हुए भी कोई अशुद्धि रह गई हो तो विद्वान् जन 'समादधति सज्जनाः' इस सूक्ति का अनुसरण करते हुए स्वयं उसको शुद्ध कर और मुझ को उसकी सूचना देकर चिरकाल के लिए आभारी बनावें | गुरुचरणसेवी जैन आचार्य आत्माराम