________________ सप्तमी दशा हिन्दीभाषाटीकासहितम् / 236 निर्वाह करता है, उसी को भिक्षु कहते हैं / उसकी द्वादश प्रतिमाएं (अभिग्रह) इस दशा में वर्णन की गई हैं / अब सूत्रकार उन प्रतिमाओं का नामाख्यान करते हैं: १-मासिया भिक्खु-पडिमा २-दो-मासिया भिक्खु-पडिमा ३-ति-मासिया भिक्खु-पडिमा ४-चउ-मासिया भिक्खु-पडिमा ५-पंच-मासिया भिक्खु-पडिमा ६-छ-मासिया भिक्खु-पडिमा ७-सत्त-मासिया भिक्खु-पडिमा ८-पढमा सत्त-राइं-दिया भिक्खु-पडिमा ६-दोच्चा सत्त-राई-दिया भिक्खु-पडिमा १०-तच्चा सत्त-राइं-दिया भिक्खु-पडिमा ११-अहो-राई-दिया भिक्खु-पडिमा १२-एग-राइया भिक्खु-पडिमा / / १-मासिकी भिक्षु-प्रतिमा २-द्वि-मासिकी भिक्षु-प्रतिमा ३-त्रि-मासिकी भिक्षु-प्रतिमा ४-चतुर्मासिकी भिक्षु-प्रतिमा ५-पञ्च-मासिकी भिक्षु-प्रतिमा ६-षण्मासिकी भिक्षु-प्रतिमा ७-सप्त-मासिकी भिक्षु-प्रतिमा ८-प्रथमा सप्त-रात्रिं-दिवा भिक्षु-प्रतिमा ६-द्वितीया सप्त-रात्रिं-दिवा भिक्षु-प्रतिमा १०-तृतीया सप्त-रात्रिं-दिवा भिक्षु-प्रतिमा ११-अहोरात्रिं-दिवा भिक्षु-प्रतिमा १२-एक-रात्रिकी भिक्षु-प्रतिमा / पदार्थान्वयः-मासिया-मासिकी भिक्खु-पडिमा-भिक्षु-प्रतिमा दो मासिया-दो मास की भिक्खु-पडिमा-भिक्षु-प्रतिमा ति मासिया-तीन महीने की भिक्खु-पडिमा-भिक्षु-प्रतिमा चउ मासिया-चार मास की भिक्खु-पडिमा-भिक्षु-प्रतिमा पंच मासिया–पाँच मास की भिक्खु-पडिमा-भिक्षु-प्रतिमा छमासिया-षण्मासिकी सत्त मासिया-सात मास की भिक्खु-पडिमा–भिक्षु-प्रतिमा पढमा-पहली सत्त-सात राइं-दिया-रात और दिन की भिक्खु-पडिमा-भिक्षु-प्रतिमा दोच्चा-द्वितीया सत्त-सात राई-दिया-रात और दिन की भिक्खु-पडिमा–भिक्षु-प्रतिमा तच्चा-तृतीया सत्त-सात राइं-दिया-रात और दिन की