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________________ उपरोक्त संग्रह गाथाएं ग्रन्थ का मूल पाठ नहीं है। उनमें नियुक्तिकार ने सारे सूत्र का संक्षिप्त परिचय दिया है, जिसका भावार्थ नीचे लिखे अनुसार हैश्रावक और उनकी नगरियां वाणिज्य ग्राम में एक श्रावक हुआ -आनन्द। चम्पा में कामदेव। वाराणसी में -चुलनीपिता और सुरादेव। आलभी में -चुल्लशतक। काम्पिल्यपुर में -कुण्डकौलिक। पोलासपुर में -सद्दालपुत्र। राजगृह में —महाशतक। श्रावस्ती में –नन्दिनीपिता और सालिहीपिया। श्रावकों की भार्याएं 1. आनन्द की शिवानन्दा। 2. कामदेव की भद्रा। . .. 3. चुलनीपिता की श्यामा। 4. सुरादेव की धन्या। 5. चुल्लशतक की बहुला।। 6. कुण्डकौलिक की पुष्या। 7. सद्दालपुत्र की अग्निमित्रा। * 8. महाशतक की रेवती आदि तेरह भार्याएं / 6. नन्दिनीपिता की अश्विनी / 10. सालिहीपिया की फाल्गुनी / विशेष घटनाएं 1. आनन्द–अवधिज्ञान और गौतम स्वामी का सन्देह / 2. कामदेव-पिशाच का उपसर्ग और श्रावक का अन्त तक दृढ़ रहना। 3. चुलनीपिता—पिशाच द्वारा माता भद्रा के वध का कथन सुनकर विचलित होना / 4. सुरादेव-पिशाच द्वारा सोलह भयंकर रोग उत्पन्न करने की धमकी और उसका विचलित होना। 5. चुल्लशतक–पिशाच द्वारा सम्पत्ति बिखेरने की धमकी और उसका विचलित होना। 6. कुण्डकौलिक देव द्वारा उत्तरीयक तथा अंगूठी का उठाना एवं गोशालक के मत की प्रशंसा करना, कुण्डकौलिक की दृढ़ता और देव का निरुत्तर होना / 7. सद्दालपुत्र—सुव्रता अग्निमित्रा भार्या ने व्रत से स्खलित हुए को पुनः धर्म में स्थित किया / भगवान् महावीर द्वारा नियतिवाद का खण्डन। और सद्दालपुत्र का गोशालक के मत को छोड़कर उनका अनुयायी बनना। श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 365 / संग्रह-गाथाएं
SR No.004499
Book TitleUpasakdashang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size9 MB
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