________________ (442) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध इस समय पंचायत में बैठा हुआ है। फिर वह साधु वहाँ जा कर कहने लगा कि आप लोगों में देवदत्त कौन है? उन्होंने पूछा कि क्या काम है? साधु ने कहा कि मुझे उसके पास कुछ माँगना है। तब पंचों ने कहा कि वह तो कंजूस है। जो कुछ माँगना है, सो हमसे माँगो। तब देवदत्त ने कहा कि हे साधुजी! आप जो माँगेंगे, वह मैं दूंगा। तब साधु ने कहा कि हे देवदत्त! जैसे छह जन स्त्रियों के वश में थे, वैसा तू भी स्त्री के वश न हो, तो मैं तेरे पास कुछ माँगें। तब पंचों ने कहा कि वे छह जन कौन थे? उनकी कथा कहिये। साधु ने कहा एक कुलपुत्र था। वह विवाह के बाद स्त्री के वश हुआ। सुबह उसे भूख लगी। उसने स्त्री के पास खाने के लिए माँगा। वह स्त्री खाट पर बैठे बैठे ही कहने लगी कि यदि तू भूखा हो, तो चूल्हे में से राख निकाल कर बाहर डाल, ईंधन ला, चूल्हे में आग जला, उस पर हंडी चढ़ा और उसमें पानी डाल। फिर कोठे में से चावल ला कर उन्हें साफ कर हंडी में डाल कर पका कर तैयार कर। तैयार होने के बाद मुझे आवाज देना। फिर मैं उठ कर परोस दूंगी। यह बात सुन कर कुलपुत्र ने कहा कि तू जो कहती है, वह सत्य है। यह कह कर वह पूर्वोक्त सब काम नित्य करने लगा। हमेशा चूल्हे की राख निकालते रहने से उसकी उँगलियाँ सफेद हो गयीं। तब लोगों ने उसका नाम श्वेतांगुली रखा। __ वैसे ही हे देवदत्त! तु भी स्त्री के वश में न हो, तो मैं याचना करूँ। देवदत्त ने कहा कि मैं स्त्री के वश में नहीं हूँ। एक कुलपुत्र था। वह स्त्री के वश हुआ। उसे स्त्री खाट पर बैठ कर कहने लगी कि मैं पानी नहीं लाऊँगी, इसलिए तू जा कर तालाब से पानी भर ला। मैं रोटियाँ बना दूंगी। वह भी लोक-लाज के कारण पिछले एक प्रहर रात रहती तब सिर पर घड़ा ले कर नित्य पानी भर कर लाने लगा। रात में बगुलेप्रमुख पक्षी डर कर तालाब पर से उड़ने लगे। इससे कोलाहल हुआ। तब लोगों ने सोचा कि यह नित्य उपद्रव क्यों होता है? बगुले क्यों उड़ते हैं? फिर खोज करने से मालूम हुआ कि कुलपुत्र पानी भरने जाता है, इससे बगुलेप्रमुख उड़ते हैं। फिर लोगों ने उसका नाम बगोड्डाही रख दिया। इसलिए हे देवदत्त! तू भी ऐसा न हो, तो मैं याचूँदेवदत्त ने कहा कि मैं ऐसा नहीं हूँ। एक कुलपुत्र किसी स्त्री से विवाह कर उसके वश हुआ। वह नित्य सुबह उठ कर हाथ जोड़ कर स्त्री से कहता कि मैं क्या काम करूँ? स्त्री कहती कि सब रसोई