SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 296
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (263) हो सकती। तुम दो घड़ी आयु बढ़ाने के लिए कह रहे हो, पर मुझसे एक समय मात्र भी आयु बढ़ाई नहीं जा सकती। टूटी आयु किसी से भी बढ़ाई नहीं जा सकती। यह ऐसा ही भावी है। यदि मेरे तीर्थ में दो हजार वर्ष तक मेरे शिष्यों को बाधा होने बाली है, तो उसे कौन रोक सकता है, ऐसा सामर्थ्य किसी में भी नहीं है। और फिर जब इस भस्मराशि ग्रह के दो हजार वर्ष पूर्ण हो जायेंगे, तब निर्मंथों की पूजा-सत्कारादिक के रूप में बहुत मानता होगी और धर्म का उदय होगा। श्रीसंघ को भी हर्ष होगा। इसलिए घड़ी न लब्भे आगली, इश्युं आखे वीर। इम जाणी जीव धर्म कर, ज्यांलगि वहे शरीर।।१।। जिस रात्रि में भगवान मोक्ष गये, उस रात्रि में बहुत सूक्ष्म कुंथुआदिक तेइन्द्रिय जाति के जीव उत्पन्न हुए, जो उठाये नहीं जा सकते थे और उठा कर दूर भी नहीं किये जा सकते थे तथा वे साधु-साध्वियों की नजर में भी नहीं आते थे। वे शीघ्र चलते थे, तब दिखायी देते थे। यह देख कर बहुत से साधु-साध्वियों ने आहार-पानी आदिक चारों आहार का त्याग कर अनशन किया। शिष्यों ने पूछा कि हे गुरो ! इस तरह का उपद्रव क्यों हुआ? तब गुरु ने कहा कि हे वत्स ! आज के बाद चारित्र का पालन बड़े कष्ट से होगा। श्री महावीरप्रभु की संपत्ति ___ उस काल में उस समय में भगवान श्री महावीरस्वामी को इन्द्रभूतिप्रमुख चौदह हजार साधुओं की उत्कृष्टी सम्पदा हुई। उन्हें चन्दनबालाप्रमुख छत्तीस हजार साध्वियों उत्कृष्टी की सम्पदा हुई। उन्हें शंखजी तथा शतकजीप्रमुख एक लाख उनसाठ हजार श्रावकों की तथा सुलसा-रेवतीप्रमुख तीन लाख अठारह हजार श्राविकाओं की उत्कृष्टी सम्पदा हुई। केवली तो नहीं पर केवली समान सब अक्षरों के संयोग जानने वाले और केवली की तरह सत्य प्ररूपणा करने वाले ऐसे तीन सौ चौदह पूर्वधर साधुओं की भगवान को
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy