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________________ 299 302 304 305 308 س 312 314 315 (15) 119. द्वारिका नगरी में यादवों का राज्य और श्री शंखेश्वर तीर्थ की स्थापना 120. नेमिनाथ की बल-प्रशंसा और बल-परीक्षा 121. प्रभु का आयुधशाला में गमन और कृष्ण के साथ बल परीक्षा 122. प्रभु को विवाह मंजूर कराने के लिए गोपियों का प्रयत्न 123. प्रभु का श्रृंगार और उनकी बारात 124. प्रभु का तोरण से लौटना और राजुल का सन्ताप 125. नेमिनाथ की दीक्षा और केवलज्ञान 126. रथनेमि की भोगपिपासा और राजीमती का प्रतिबोध 127. श्री अरिष्टनेमि प्रभु का परिवार और निर्वाण 128. इक्कीसवें तीर्थंकर से श्री ऋषभदेव तक का अन्तर अष्टम व्याख्यान 129. श्री आदिनाथ भगवान का चरित्र - उनके पाँच कल्याणक 130. भगवान श्री ऋषभदेवजी के तेरह भव 131. प्रभु ऋषभदेव का मरुदेवी की कुक्षि में अवतरण 132. कुलकरों की उत्पत्ति और नीति-प्रचार / 133. प्रभु का जन्म, नाम-वंशस्थापन और विवाह 134. ऋषभदेव की सन्तति, राज्याभिषेक और विनीता नगरी की स्थापना 135. युगलिक धर्म निवारण और भोजन विधि निरूपण 136. भगवान की दी हुई लेखनादि कला-शिक्षा 137. प्रभु के सौ पुत्रों के नाम 138. प्रभु की दीक्षा और तापसों की प्रवृत्ति 139. . ऋषभदेवस्वामी के पुत्ररूप में नमि-विनमि 140. अन्तराय कर्म के उदय से प्रभु द्वारा किया गया वार्षिक तप 141. प्रभु के वार्षिक तप का पारणा और कर-संवाद 142. प्रभु के साथ श्रेयांसकुमार का आठ भव का संबंध 143. प्रभु ने आहारान्तरायकर्म कैसे बाँधा 144. धर्मचक्रपीठ की स्थापना और बाँग देने की प्रवृत्ति 319 319 328 329 331 333 335 336 338 339 340 342 342 348 348 349
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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