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________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (131) तूने मेरा मनोरथ रूप कल्पवृक्ष उखाड़ डाला? यदि मैंने तेरा कोई अपराध किया है, तो हे पापी ! तू प्रकट होकर बताता क्यों नहीं ? तूने मुझे दुःख की खान प्राप्त करा दी। तूने मुझे आँखें दे कर वापस ले लीं। तूने मेरे हाथ पर निधान रख कर वापस खींच लिया। तूने मुझे मेरुपर्वत पर चढ़ा कर पुनः जमीन पर गिरा दिया। तूने मेरे मुख में आया हुआ कवल खींच लिया। तूने मेरे खेत की फसल जला दी। तूने मेरी रसकुंपिका फोड़ डाली। तूने मेरा जहाज बीच समुद्र में डुबो दिया। ____ अथवा देव को उपालंभ देने से क्या होता है? हे जीव ! तूने पूर्वभव में ऐसा ही कर्म बाँधा होगा, जो अब तेरे उदय में आया है। पूर्वभव में मैंने माताओं से उनके बालकों को दूर किया होगा तथा गायप्रमुख के बछड़ों को दूध नहीं पीने दिया होगा, पेड़ की डालियाँ तोड़ी होंगी, सरोवर की पाल फोड़ी होगी, आग लगायी होगी, अनछना पानी पीया होगा, चूहों के बिल खोदे होंगे, उनमें धूल भरी होगी, नेवले और गोह के बिलों में उबलता जल और तेल डाला होगा, कीड़े-मकोड़ों के बिल में गर्म पानी डाला होगा, तोता-मैना प्रमुख जीवों को पिंजरे में डाला होगा, उन्हें उनकी माता का वियोग कराया होगा, चिडियाप्रमख पक्षियों के घौंसले तोडे होंगे, अंडे फोडे होंगे, जूं-लीखें मारी होंगी, लोगों के गर्भ पर द्वेष किया होगा, गर्भ गिराया होगा, गर्भस्तंभन कराया होगा, वशीकरण-उच्चाटन आदि कराये होंगे, 'तेरा पुत्र मर जाये' ऐसा शाप दिया होगा, पापमंत्र की साधना और औषध किये होंगे, किसी को जहर दिया होगा, किसी के रत्न चुरा लिये होंगे, किसी का शीलभंग कराया होगा अथवा व्रतग्रहण कर उनका भंग किया होगा, किसी के गाँव जलाये होंगे, बड़े वृक्ष धरती से उखाड़ डाले होंगे, बड़े-बड़े तालाब सुखाये होंगे अथवा देवद्रव्य का भक्षण किया होगा, जैन मंदिर तोड़े होंगे, गुरु का अवर्णवाद (निंदा) किया होगा, देव-गुरु पर द्वेष किया होगा, दान देने वाले को देने से रोका होगा, वृक्ष के फल तोड़े होंगे अथवा अनन्तकाय का भक्षण किया होगा, कच्चे फल तोड़े होंगे, अधिक क्या कहूँ? ऐसे ऐसे पाप मेरे जीव ने किये होंगे, जो अब मेरे उदय में आये
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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