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________________ श्री कल्पसूत्र-बालावबोध (121) नगर में ज्योतिषी के पास गया और उसे अपने स्वप्न की बात बतायी। ज्योतिषी बोला कि पहले यदि तुम मेरी बेटी के साथ विवाह करो, तो मैं तुम्हें इसका फल बताऊँगा। तब मूलदेव ने कहा कि तुम्हें मेरी जाति मालूम नहीं है, फिर तुम तुम्हारी पुत्री का विवाह मेरे साथ क्यों करते हो? इस पर ज्योतिषी ने कहा कि मैंने सब बातें जान ली हैं। यह कह कर अपनी पुत्री का उसके साथ विवाह कर उसे स्वप्न का फल बताया। उसने कहा कि आज से सातवें दिन इस नगर के निःसन्तान राजा की मृत्यु होगी और तुम इस नगर के राजा बनोगे। ज्योतिषी की बात हृदय में धारण कर मूलदेव पुनः उद्यान में चला गया। . सातवें दिन नगर के राजा की मृत्यु हो गयी। तब राजा के बिना चल नहीं सकता, इसलिए गाँव के प्रमुख लोगों ने यह निश्चित किया कि राजा का घोड़ा, हाथी और मंत्री जिसे राजा बनायें, उसे राजगद्दी पर बिठाया जाये। इससे अन्य सगे-संबंधियों का कोई विरोध नहीं होगा। फिर उन्होंने इन तीनों को सजा कर राजमहल के बाहर भेजा। हाथी और घोड़ा दोनों उद्यान में पहुँचे। वहाँ हाथी ने चिंघाड़कर मलदेव के मस्तक पर कलशाभिषेक किया। उस समय घोड़ा हिनहिनाने लगा। हाथी ने मूलदेव को लँड से उठा कर अपनी पीठ पर बिठाया। फिर वह उसे नगर में ले गया। तब नगरजनों ने उसे राजगद्दी पर बिठाया। इस तरह मूलदेव उस नगर का राजा बना। इसलिए शुभ स्वप्न देखा हो, तो उत्तम व समझदार पुरुष को ही बताना चाहिये, पर मूर्ख को तो बिल्कुल ही नहीं बताना चाहिये। वणिक् स्त्री का दृष्टान्त उत्तम स्वप्न मूर्ख को बताने से जो दुःख होता है, उससे संबंधित एक वणिक स्त्री का अन्य दृष्टान्त कहते हैं- किसी वणिक स्त्री ने स्वप्न में समुद्र पी लिया। सुबह गुरु के पास जाते वक्त उसे एक सखी मिली। उसने पूछा कि बहन ! यह गहुँली ले कर कहाँ जा रही हो? बार-बार पूछे जाने पर उसने कहा कि मैंने स्वप्न में समुद्र पी लिया है। उसका फल गहुँली कर के
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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