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________________ (74) श्री कल्पसूत्र-बालावबोध इसलिए तेरे जिन्दा रहने का यही एक मात्र उपाय है। पद्मनाभ ने वैसा ही किया। इतने में श्रीकृष्णा भी वहाँ आ गये। उन्होंने देखा तो पद्मनाभ स्त्रीरूप कर के द्रौपदी के पीछे बैठा हुआ था। श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से पूछा कि यह कौन बैठा है। द्रौपदी ने कहा कि पद्मनाभ राजा तुम्हारे भय से भाग कर मेरी शरण में आया है। इतना कह कर उसने पद्मनाभ को श्रीकृष्ण के पाँव लगवाया। तब श्री कृष्ण ने उस पर दया कर के उसे जीवित रखा और उससे कहा कि अरे ! क्या तू जानता नहीं था कि इस द्रौपदी के पीछे बड़े बड़े लोग मदद करने वाले है? पर मूों के सिर पर जब पड़ती है; तब उन्हें अक्ल आती है। तो अब तेरा किया कर्म तूने भोगा है। द्रौपदी के प्रभाव से तू जिन्दा रहा। इतना कह कर अखंड शीलवती द्रौपदी को ले कर पाँचों पांडवों सहित श्रीकृष्ण जी वहाँ से लौट गये और उन्होंने जय का शंखनाद किया। उस समय उस क्षेत्र में श्री मुनिसुव्रत तीर्थंकर के पास वहाँ का कपिल वासुदेव व्याख्यान सुन रहा था। उसने शंखनाद सुना। तब उसके मन में शंका उत्पन्न हुई कि क्या कोई अन्य वासुदेव उत्पन्न हुआ है? इस कारण से उसने भगवंत से पूछा कि महाराज ! यह दूसरा वासुदेव कौन उत्पन्न हुआ है, जिसने मेरा शंख बजाया? भगवन्त बोले कि हे कपिल ! एक क्षेत्र में दो तीर्थंकर और दो वासुदेव नहीं होते। यह तो जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र का श्री कृष्ण नामक वासुदेव तेरे जैसी ऋद्धि का मालिक है। पद्मनाभ राजा ने द्रौपदी का हरण किया था। इसलिए द्रौपदी को लेने के लिए वह यहाँ आया था। पद्मनाभ को जीत कर अब वह वापस जा रहा है। उसने शंखनाद किया है। यह सुन कर तीर्थंकर से आज्ञा ले कर कपिल वासुदेव तुरन्त वहाँ से उठ कर अपने समान वासुदेव को देखने के लिए समुद्र के किनारे जा पहुँचा। पर श्री कृष्ण तो बहुत दूर निकल गये थे। मात्र समुद्र में नीली-पीली ध्वजाएँ देख कर उसने शंखध्वनि की। उसमें यह सूचित किया कि हे मित्र ! जरा ठहरो। मैं तुम्हें मिलने आया हूँ। इसलिए एक बार यहाँ लौट आओ। तुम्हारे दर्शन की मुझे अभिलाषा है। शंख से ऐसा शब्द सुन कर श्री कृष्ण ने भी पुनः शंखनाद
SR No.004498
Book TitleKalpsutra Balavbodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay, Jayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year1998
Total Pages484
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size10 MB
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