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________________ 262. संयम में रत तथा अरत के सुखों और दुःखों का प्रमाण.......... 455 263. संयमभ्रष्ट हो जाने के पश्चात् पैदा होने वाले अनर्थों का दिग्दर्शन. 264. संयमभ्रष्टता का इस लोक तथा परलोक में क्या फल होता है इस विषय का वर्णन.......... 265. अन्य अनर्थों का वर्णन .......... 266. संयम में आने वाले दुःखों की अनित्यता.................. 267. धर्म की वेदिका पर प्राण तक न्यौछावर कर देने का उपदेश..... 268. चूलिका का उपसंहार .......... . (द्वितीय-चूलिका) 269. प्रतिज्ञा तथा विषय वर्णन. 270. विषय भोगों से पराङ्मुख रहने का उपदेश................... 271. नियमों का यथासमय पालन करने का उपदेश.......... 465 | 272. चर्या के विषय का वर्णन ........ 466 273. आध्यात्मिक उपदेश........... 468 274. शयन आसन आदि की ममता के त्याग का उपदेश.............. 469 275. गृहस्थों के सहवास के त्याग का उपदेश 470 276. श्रेष्ठ मुनिसंग न मिलने पर क्या करना चाहिए? इस प्रश्न का समाधान................... 470 277. विहार-काल में नियमोल्लंघन न होने . का उपदेश .................. 471 278. आत्मविचारणा के विषय का वर्णन 472 279. साधु को संभलने के लिए अश्व का दृष्टान्त .................. 474 280. प्रकरण का उपसंहार ........... 475 281. चूलिका की समाप्ति में आत्मरक्षा का उपदेश .......... 476 परिशिष्ट 1 ... 283. परिशिष्ट 2 ............. 492 282. का पदश................ 465 - इति - विषय-सूची] हिन्दीभाषाटीकासहितम् /
SR No.004497
Book TitleDashvaikalaik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAatmaramji Maharaj, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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