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________________ प्रतिबुद्धजीवी कहते हैं। क्योंकि वह संसार में संयम जीवन से ही जीता है। टीका-जिसने स्पर्श आदि पाँचों इन्द्रियों को अपने वश में कर लिया है, जो संयम क्रियाओं के करने में अदम्य धैर्ययुक्त है, जिसके मन, वचन और काय योग वशीभूत हैं, जो सदैव प्रमाद को जीतता है तथा जो नित्य प्रति अपनी संयम-सम्बन्धी क्रियाओं में लगा रहता है, ऐसे श्रेष्ठ मुनि को विद्वान् लोग संसार में 'प्रतिबुद्धजीवी'- अर्थात् प्रमाद रहित जीवन वाला कहते हैं। कारण कि वह साधु संयम-जीवन से जीता है अर्थात् उसका जीवन चारित्र धर्म से युक्त है। बात यह है कि जो मनुष्य धर्म प्रेमी है, वही जीवित गिना जाता है, धर्म हीन नहीं। धर्म हीन मनुष्य की तो मृतक से उपमा दी गई है। कुछ साँस के चलते रहने से ही जीवन नहीं गिना जाता, यों तो लुहार की मुर्दार धौंकनी भी साँस लेती रहती है। सच्चा जीवन तो संयम से ही सम्बन्ध रखता है। अतः संयमजीवी ही प्रतिबुद्धजीवी कहलाता है। उत्थानिका- अब चूलिका की समाप्ति में आत्म-रक्षा का उपदेश देते हैं:अप्पा खलु सययं रक्खियव्वो, संव्विंदिएहिं सुमाहिएहिं। अरक्खिओ जाइपहं उवेइ, सुरक्खिओ सव्वदुहाण मुच्चइ॥१६॥ त्ति बेमि। इअ दसवेआलिअसुत्तस्स विवित्तचरिआ चूलिआ समत्ता। आत्मा खलु सततं रक्षितव्यः, सर्वेन्द्रियैः सुसमाहितैः। अरक्षितो जातिपथमुपैति, सुरक्षितः सर्वदुःखेभ्यो मुच्यते॥१६॥ इति ब्रवीमि। इति दशवैकालिकसूत्रस्य द्वितीया चूलिका समाप्ता। पदार्थान्वयः- सव्विंदिएहिं सुसमाहिएहि-समग्र इन्द्रियों द्वारा सुसमाहित मुनि से अप्पा-यह आत्मा खलु-निश्चय ही सययं-सदाकाल रक्खियव्वो-रक्षणीय है, क्योंकि अरक्खिओअरक्षित आत्मा तो जाइपहं-जातिपथ को उवेइ-प्राप्त होती है और सुरक्खिओ-सुरक्षित आत्मा सव्वदुहाण-सब दुःखों से मुच्चइ-मुक्त होती है। त्ति बेमि-इस प्रकार मैं कहता हूँ। ___ मूलार्थ-जो मुनि समस्त इन्द्रियों द्वारा सुसमाहित हैं, उनका कर्त्तव्य है कि वे अपनी आत्मा की सदैवकाल रक्षा करते रहें; क्योंकि अरक्षित आत्मा जातिपथ को प्राप्त होती है और सुरक्षित आत्मा सब दुःखों से मुक्त हो जाती है। 476 ] दशवैकालिकसूत्रम् [ द्वितीया चूलिका
SR No.004497
Book TitleDashvaikalaik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAatmaramji Maharaj, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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