________________ श्री दशवैकालिकसूत्रम् . <विषय-सूची> पृष्ठ विषय पृष्ठ | सं० विषय प्रथम अध्ययन) 11. निर्ग्रन्थों की क्रिया और उसके फल 1. धर्म मंगल उत्कृष्ट है ............... 3 | का वर्णन .................... 35 2.... भ्रमर के समान साधु की भिक्षाचरी | चतुर्थ अध्ययन का वर्णन .................... 7 | 12. षट्जीवनिकाय नामक अध्ययन (द्वितीय अध्ययन) का महत्त्व ................... 37 ___3. कामी पुरुष संयम की पालना नहीं 13. षट्काय के जीवों की सचित्तकर सकता................... 13 | अचित्तता का वर्णन ............. 4. त्यागी और भोगी के लक्षण........१४-१५ | 14. त्रस प्राणियों की उत्पत्ति आदि का 5. मन को निग्रह करने का उपदेश..... 16 वर्णन...................... 6. राजीमती और रथंनेमिका परस्पर | 15. षट्जीवनिकाय के जीवों की हिंसा संवाद फिर रथनेमि के धर्म में स्थिर का निषेध.................... करना........ .............. 18 16. प्रथम अहिंसा महावत का वर्णन ..... तृतीय अध्ययन | 17.. द्वितीय सत्य महाव्रत का वर्णन...... 7. निर्ग्रन्थों के अनाचीरों का वर्णन 18. तृतीय अदत्तादान महाव्रत का करने की प्रतिज्ञा ............... 24 वर्णन ...................... 8. निर्ग्रन्थों के अनाचीरों का वर्णन ..... 25 / 19. चतुर्थ ब्रह्मचर्य महाव्रत का वर्णन .... 55 1. निर्ग्रन्थों के लक्षण .............. 33 | 20. पञ्चम् अपरिग्रह महाव्रत का वर्णन .... 57 10. ग्रीष्म, हेमन्त और वर्षा ऋतुओं में | 21. षष्ठ रात्रि-भोजन-परित्याग व्रत का साधु को क्या करना चाहिए....... वर्णन...... xly