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________________ यह सूत्र संसार को तारने वाला, कैवल्य मार्ग को दर्शाने वाला है। असमय में परिपूर्ण हुआ इसलिए वैकालिक शब्द वाला बना है। दशाध्ययनानां सूत्रः, दशविशेषणालंकृतम्। अयं च यौगिक शब्दः, शय्यं भवेन निर्मितः॥ इसमें दस अध्ययन सूत्र हैं, वैकालिक के साथ दस विशेषण शब्द को जोड़ा गया है। आचार्य शय्यंभव ने यह एक यौगिक शब्द नाम वाला बनाया है। प्रथमे धर्म प्रशंसा, द्वितीये धैर्यसंयमः। . .. तृतीये चात्मसंयमः, चतुर्थे षट्कायरक्षणम्॥ दशवैकालिक के प्रथम अध्ययन में धर्म की प्रशंसा का वर्णन है, दूसरे में संयमधैर्य का निरूपण है। तीसरे अध्ययन में आत्मसंयम की चर्चा और चौथे अध्ययन में षट्काय जीवों की रक्षा के उपाय बताये हैं। पंचमे तपोभिक्षा हि, षष्ठे महाचार कथा। सप्तमे धर्मज्ञ शिक्षा, अष्टमे प्रणिधिराचारः॥ पंचम अध्ययन में तप-भिक्षा, छठे में महाचार कथा का वर्णन, सातवें में धर्म ज्ञानियों की शिक्षा का वर्णन और आठवें अध्ययन में आचार प्रणिधि का विवरण दिया . 6 नवमे विनय सत्ता, दशमे भिक्षुलक्षणम्। एवं दशाध्ययनेषु विषयः प्रतिपादितः॥ नौवें अध्ययन में विनय की महत्ता श्रेष्ठता दिखाकर दसवें अध्ययन में भाव भिक्षु के लक्षण-स्वभाव का वर्णन किया है। बिन्दौ सिन्धुः समानीतः कुम्भे भरितः सागरः। , एवं दशवैकालिकः ज्ञानवर्धक भास्करः॥ आचार्य मुनिवर ने बूंद में समुद्र समा दिया, गागर में सागर भर दिया।यह दशवैकालिक सूत्र तो ज्ञान को बढ़ाने वाला सूर्य देव है। निवेदनम् - इत्येवम् शंकरदत्तः शास्त्री, साहित्याचार्य लुधियाना वास्तव्यः xlii
SR No.004497
Book TitleDashvaikalaik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAatmaramji Maharaj, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size12 MB
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