________________ सौ सुवर्ण के पादपीठ-पैर रखने के आसन, पांच सौ रजत के पादपीठ, पांच सौ सुवर्ण और रजत के पादपीठ, पांच सौ सुवर्ण के भिसिका-आसनविशेष, पांच सौ रजत के आसनविशेष, पांच सौ सुवर्ण और रजत के आसनविशेष, पांच सौ सुवर्ण के करोटिका-कूण्डे अथवा बड़े "मुंह वाले पात्रविशेष, पांच सौ रजत की करोटिका, पांच सौ सुवर्ण और रजत की करोटिका, पांच सौ सुवर्ण के पलंग, पांच सौ रजत के पलंग, पांच सौ सोने और रजत के पलंग, पांच सौ सुवर्ण की प्रतिशय्या-उत्तरशय्या अर्थात् छोटे पलंग, पांच सौ रजत की प्रतिशय्या, पांच सौ सुवर्ण और रजत की प्रतिशय्या, पांच सौ हंसासन-हंस के चिह्न वाले आसनविशेष, पांच सौ क्रौंचासन-क्रौंचपक्षी के आकार वाले आसनविशेष, पांच सौ गरुड़ासन-गरुड़ के आकार वाले आसनविशेष, पांच सौ उन्नत-ऊँचे आसन, पांच सौ प्रणत-नीचे आसन, पांच सौ दीर्घ-लम्बे आसन, पांच सौ भद्रासन-आसनविशेष, पांच सौ पक्ष्मासन-आसनविशेष जिन के नीचे पक्षियों के अनेकविध चित्र हों, पांच सौ मकरासन-मकर के चिह्न वाले आसन, पांच सौ पद्मासन-आसनंविशेष, पांच सौ दिशासौवस्तिकासन-दक्षिणावर्त अर्थात् स्वस्तिक के आकार वाले आसन, पांच सौ तैलसमुद्र-तेल के डब्बे, इन के अतिरिक्त राजप्रश्रीय सूत्र में कहे हुए यावत् पांच सौ सरसों रखने के डब्बे, पांच सौ कुबड़ी दासियां, इस के अतिरिक्त औपपातिकसूत्र के कहे अनुसार यावत् पांच सौ पारिसी-पारसदेशोत्पन्न दासियां, पांच सौ छत्र, पांच सौ छत्र * धारण करने वाली दासियां, पांच सौ चंवर, पांच सौ चंवर धारण करने वाली दासियां, पांचसौ पंखे, पांच सौ पंखा झुलाने वाली दासियां, पांच सौ पानदान (वे डिब्बे जिन में पान और उस के लगाने की सामग्री रखी जाती है, पनडब्बा), पांच सौ पानदान को धारण करने वाली दासियां, पांच सो क्षीरधात्रिएं-बालकों को दूध पिलाने वाली धायमाताएं, यावत् पांच सौ बालकों को गोद में लेने वाली धायमाताएं, पांच सौ अंगमर्दन करने वाली स्त्रियां, पांच सौ . उन्मर्दिका-विशेष रूप से अंगमर्दन करने वाली दासियां, पांच सौ स्नान कराने वाली दासियां, पांच सौ शृंगार कराने वाली दासियां, पांच सौ चन्दनादि पीसने वाली दासियां, पांच सौ चूर्ण पान का मसाला अथवा सुगन्धित द्रव्य को पीसने वाली दासियां, पांच सौ क्रीड़ा कराने वाली दासियां, पांच सौ परिहास-मनोरंजन कराने वाली दासियां, पांच सौ राजसभा के समय साथ रहने वाली दासियां, पांच सौ नाटक करने वाली दासियां, पांच सौ साथ चलने वाली दासियां, पांच सौ रसोई बनाने वाली दासियां, पांच सौ भाण्डागार-भण्डार की देखभाल करने वाली दासियां, पांच सौ मालिने, पांच सौ पुष्प धारण कराने वाली दासियां, पांच सौ पानी लाने वाली 1. द्वितीय अध्याय में चिलाती, वामनी आदि सभी दासियों का उल्लेख किया गया है। 2. द्वितीय अध्याय में मञ्जनधात्री तथा मण्डनधात्री आदि शेष धायमाताओं के नाम वर्णित हैं। प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / नवम अध्याय [687