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________________ संक्षिप्तप्राकृतशब्दरूपमाला 131 (10) दह, दस (दशन् ) शब्दस्य त्रिलिंगे समानरूपाणि / बहुवचन. प्र.- ] दह. द्वि.- दस. तृतीया- दहि, दहहिँ, दहहिं, दसहि, दसहि, दसहि. च. ष.-- दसण्ह, दसण्हं. पंचमी- दहत्तो, दहाओ, दह उ, दहाहिन्तो, दहासुन्तो, दसत्तो दसाओ, दसाउ, दसाहिन्तो, दसासुन्तो. सप्तमी- दहसु, दहसुं. दससु दससुः / एवं-एगारह-बारह-तेरह-च उद्दह-चउद्दस-पन्नरह-सोलस सत्तरह-अठारह-इत्यादयः। (11) स्त्रलिंगे वीसा (विंशति) शब्दस्य रूपाणि / . एकवचन. * बहुवचन. प्रथमा- वीसा. वीसाओ, वीसाउ, वीसा. द्वितीया- वीसं. वीसाओ, वीसाउ, वीसा, तृतीया- वीसाअ, वीसाइ, वीसाए. बोसाहि, वीसाहि, वीसाहि. शेषं-'दया' शब्दवत् / एवं-एगूणवीसा-एगवीसा-एगूणतीसा-तीसा-एगतीसा-एगूण- चत्तालीसा-चत्तालीसा पण्णासा-अट्ठावण्णा-इत्यादयः /
SR No.004494
Book TitleDodhak Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajrasenvijay
PublisherJain Dharmik Tattvagyan Pathshala
Publication Year1982
Total Pages208
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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