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________________ 122 प्राकृतव्याकरणस्य . . कदाचित् 'आउस' शब्दस्य नपुसकेऽपि रूपाणि भवन्ति / एकवचन. बहुवचन. . प.- . . दि.- j आउसाई,माउसाइं,आउसाणि. सम्बोधन-हे माउस. आउसाई, आउसाई, आउसाणि. शेषं-'नाण' शब्दवत् / 3 उकारान्तपुलिंग'नेहालु' (स्नेहालु) शब्द / / एकवचन. , बहुवचन. प्रथमा- नेहालू. नेहालवो, नेहालउ, नेहालओ. नेहालुणो, नेहालू. द्वतीया-नेहालं. . नेहालुणो, नेहाल. सम्बोधन-हे नेहालू, नेहालु. नेहालवो, नेहालउ, नेहालओ, नेहालुणो, नेहालू. . शेष-'पुर' शब्दवत् / 5 'पाउस (प्रावृष् ) शब्दस्य रूपाणि पुल्लिंगे भवन्ति / एकवचन. बहुवचनः प्रथमा- पाउसो. "पाउसा.. द्वितीया-पाउसं. पाउसा, पाउसे. सम्बोधन-हे पाउस, पाउसो, पाउसा. पाउसा. / शेषं-'जिण' शब्दवत् / 1. पाउस (प्रावृष् ) सरन (शरद् ) शब्दयोरन्त्यव्यञ्जस्य अकारभवनाद अकारान्त 'जिण' शब्दवद् रूपाणि भवन्ति / .
SR No.004494
Book TitleDodhak Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajrasenvijay
PublisherJain Dharmik Tattvagyan Pathshala
Publication Year1982
Total Pages208
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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