________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् एक-द्वि-त्रिमात्रा हस्व-दीर्घ-प्लुताः / 11115 // मात्रा कालविशेषः / एक-द्वि-व्युच्चारणमात्रा औदन्ता वर्णा यथासंख्यं -हस्वदीर्घ-प्लुतसंज्ञाः स्युः / अ इ उ ऋल, आ ई ऊ ऋ ल, ए ऐ ओ औ, आ३ ई३ ऊ३ इत्यादि // 5 // अनवर्णा नामी / 11 / 6 // अवर्णवर्जा औदन्ता वर्णा नामिसंज्ञाः स्युः / इ ई उ ऊ ऋ ॠ ल ल ए. ऐ ओ औ // 6 // . लृदन्ताः समानाः 11117 // टुकारावसाना वर्णाः समानाः स्युः / अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ ल लू // 7 // ए-ऐ-ओ-औ सन्ध्यक्षरम् 11118 // ‘ए ऐ ओ औ' इत्येते सन्ध्यक्षराणि स्युः // 8 // ___ अं-अः अनुस्वार-विसर्गौ // 11 // 9 // अकारावुच्चारणार्थो / 'अं' इति नासिक्यो वर्णः / अः' इति च कण्ठ्यः / एतौ यथासंख्यम् ‘अनुस्वार-विसर्गौ' स्याताम् // 9 // कादिर्व्यञ्जनम् 1911 / 10 // कादिवर्णो हपर्यन्तो व्यञ्जनं स्यात् / क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह // 10 // अपञ्चमान्तस्थो धुट् / 111111 // वर्गपञ्चमान्तस्थावर्जः कादिर्वर्णो धुट् स्यात् / क ख ग घ, च छ ज झ,ट ठ ड ढ, त थ द ध, प फ ब भ, श ष स ह // 11 // . - पञ्चको वर्गः 111111.2 // . कादिषु वर्णेषु यो यः पञ्चसंख्यापरिमाणो वर्णः, स स वर्गः स्यात् / क ख