________________ प्राकृत, संस्कृत प्राकृतसूत्रधार 4/144 अस्सिक उद् क्षिप् अस्सिका मुच ऊसळ उद् लस् 4/202 4/181 4/141. 4/125 4/43 4/21. ओअक्ख दृश ओअम्म वि आप् ओअन्द आर छिद् ओग्गाल रोमन्थ ओम्बाल. छद् ओम्वाल ओरस अव तृ सम्ममा उद् वा ओलुण्ड वि रिच ओसुक तिज् ओह . अव है ओहाम तुल ओहाय आक क्रम ओहीरः नि द्रा 4/41 4/85. कृष 4/26 4/104 4/85 4/25 4/160 4/12. 4/187 4/220 4/255 4/146 4/72 4/11. 4/111 कथ कथ् कमवस