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________________ सहस्रनाम्नामनुक्रमणिका 166 o X o 0 0 0 202 226 नामानि अतीन्द्राय अतीन्द्रियार्थदृशे अतुल्याय अदिगन्त राय अधातुभाजे अध्यात्मकैलाशाय अध्यात्मकोटये अध्यात्मगम्याय अध्यात्मज्ञाय अध्यात्मधनाय. अध्यात्मपरिग्रहाय अध्यात्मपवित्राय अध्यात्मपारगाय अध्यात्मपीठाय अध्यात्मपूताय अध्यात्मपूर्णाय अध्यात्मभाव्याय अध्यात्मभास्कराय अध्यात्ममन्दिराय अध्यात्मयज्ञाय अध्यात्मरङ्गाय अध्यात्मलोचनाय अध्यात्मवासाय अध्यात्मवासिताय अध्यात्म विदे अध्यात्मविष्ट राय अध्यात्मशासनाय पृष्ठाङ्काः नामानि पृष्ठाङ्काः अध्यात्मसङ्गताय ... 203 अध्यात्मसग्रहाय अध्यात्मसन्तताय अध्यान्मसन्तानाय / अध्यात्मसंवराय - अध्यात्मसंश्रयाय. 202 अध्यात्मसाराय अध्यात्मसृष्टये अध्यात्मस्थाय 203 अध्यात्मांशाय 202 अध्यात्माख्याय 203 अध्यात्माङ्काय अध्यात्माज्ञाय 203 अध्यात्माढ्याय अध्यात्माधिपत्यकाय अध्यात्माध्वने अध्यात्माप्याय अध्यात्माभाय अध्यात्मार्काय. अध्यात्मार्चाय अध्यात्मार्थाय अध्यात्मास्थाय अध्यात्मेताय अध्यात्मेद्धाय 203 अध्यात्मनाय अध्यात्मेन्द्राय अध्यात्मेलाय. अध्यात्मेष्टाय 203 202
SR No.004489
Book TitleArshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharati Jain Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages402
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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