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________________ 220 158 162 160 143 122 पद्यानि किमगोचरितः किम् तद्वनस्थ कुकालपाताल कुसुमानि क्रान्त वणिग्भिः क्व योग्यताऽस्या गच्छे श्रीविजया गलन्निमेष गुणेन दानस्य गुणैनिजैदिग्जय चिकुरालिमयीं चिकूरैः सह चौर्यं परस्वेषु जगन्ति जेता जेतुं जगद् यस्य तं युवानमन ततः कृतार्था तन्त्रात्-प्रयोगात् तारामिषात् त्रिजगज्जया त्रिजगद्रुचिरा दयैव तेनान्तर दुर्गेरुदणैर्नवभिः द्रष्टु किमासीन द्रु हिणेन तदा द्विजराज़ इवैतदा श्लोकानुक्रमणिका पृष्ठांकाः | पद्यानि . .. पृष्ठांकाः 162 द्विजराजकलिङ्कनो 157 | धुरिकान्ति 123 नयनाम्बु नलिनं मलिनं 130 | नाम्नैव धाम्ना 12.3 | निजश्रियं येन 122 नितमामिदमीय निदर्शनत्वं 122 निर्वेदतः किं 142 नीतिर्नवीनेय० 125 151 न्यूनाधिकाभ्यां पचेलिमं पक्षि 126 परिणामसहाय पीनीभविष्णोः 131 पुरतो न तदा पुरन्दरो गोत्र पुरुषोत्तममेन 144 पुरो मुखस्या 141 123 / प्रकटय्य प्रकामवन्ध्या प्रथिता किल 146 फणाभिरुच्चैः 130 124 फलं ददुर्गा 124 136 फलार्थिनः श्रीफल 127 158 बभूव भूवल्लं० 163 | भजते हरिणो . 150 126 / 144 14 161 ~ ~ 135 ~ WW WKc ~ 138 152 162 137
SR No.004489
Book TitleArshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharati Jain Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages402
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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