SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अभिज्ञानशाकुन्तलम् [प्रथमो[तत आत्मानमपि विस्मरिष्यामि / ( लतामुपेत्य, अवलोक्य च सहर्षम् ) आश्चर्यम् ! आश्चर्य्यम् / , प्रियंवदे ! प्रियं ते निघेदयामि / प्रियंवदा-सहि ! किं में पिअं ? / . [ सखि ! किं में प्रियम् ? ] / शकुन्तला-असमए क्स्तु एसा आमूलादो मुउलिदा माहवीलदा / [ असमये खल्वेषा आ मूलान्मुकुलिता माधवीलता ! ] / उभे-( सत्वरमुपगम्य-) सहि ! सच्चं सच्चं ? / [ ( सत्वरमुपेत्य ) सखि ! सत्यं सत्यम् ? ] / शकुन्तला--सच्चं, किं ण पेक्खध ? [ सत्यं, किं न प्रेक्षेथे ?] / असमये = पुष्पोद्वमाऽयोग्येऽपि ग्रीष्मकाले, मुकुलाः संजाता अस्याः सामुकुलिता = जातमुकुलोद्भेदा / वसन्तत्तौ हि वासन्ती पुष्यति, न ग्रीष्मे / 'मूलं बुध्नोऽधिनामकः' इत्यमरः / 'कुडमलो मुकुलोऽस्त्रिया'मित्यमरः / प्रतिगतं जाऊँगी। (माधवी लता के पास जाकर, उसे देखकर, सहर्ष-) आश्चर्य है ! आश्चर्य है !! सखि प्रियंवदे ! तेरे को मैं एक प्रिय बात ( खुशखबरी) सुनाती हूँ। प्रियंवदा-हे सखि ! मेरे को कौनसी प्रिय बात सुना रही हो? / मेरे को प्रसन्न करने वाली क्या बात है ? / शकुन्तला-देख, यह माधवी लता असमय में ही नीचे से ऊपर तक फूलों की कलियों से लहलहा रही है। (माधवी लता वसन्त में फूलती है, गर्मी में नहीं, अतः ग्रीष्मऋतु में इसका फूलना आश्चर्यजनक है)। दोनों सखियाँ-सखि ! क्या यह बात सत्य है ? / शकुन्तला-हाँ, बिलकुल सत्य है, तुम लोग भी क्या नहीं देख रही हो! / (क्या तुम दोनों को यह बात नहीं दिखाई दे रही है ?) /
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy