SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 226
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 222 अभिज्ञानशाकुन्तलम्- [तृतीयोमुखमंसविवर्ति पक्ष्मलाक्ष्याः कथमप्युन्नमितं, न चुम्बितं तु // 38 // क नु खलु सम्प्रति गच्छामि ? / अथवा इहैव प्रियापरिमुक्ते लतामण्डपे मुहूर्त तिष्ठामि / ( सर्वतोऽवलोक्य-) तस्याः पुष्मयी शरीरलुलिता शय्या शिलायामियं, ... कान्तो मन्मथलेख एष नलिनीपत्रे नखैरर्पितः / वैक्लन्येन-स्फुटमनुच्चारणेन-अभिराम- प्रतिषेधाक्षरविक्लवाभिरामं = नहि-नहि-मा-माऽलमित्याद्यक्षराऽस्फुटोच्चारणहृद्यम् / विक्लबशब्दोऽत्र धर्मपरः / अंसयोविवर्तितुं शीलं यस्य तत्-अंसवित्ति = स्कन्धपरावर्त्तनशीलं। पक्ष्मले अक्षिणी यस्यास्तस्याः पक्ष्मलाक्ष्याः = चारुनेत्रलोमललितलोचनायाः। मुखं = वदनं / कथमपि = यत्नशतादपि / मया उन्नमितं = चुम्बनार्थमुन्नमितं / तु = किन्तु यथेच्छं। न चुम्बित = नास्वादितं / गौतमीसमागमादेव / [ स्वभावोक्तिः / श्रतिवृत्त्यनुप्रासौ / 'कथमपी' त्येतदर्थं प्रति विशेषणयार्थस्य हेतुत्वेनोपादानात्-काव्यलिङ्गम् / औपच्छन्दसिक वृत्तम् ] // 38 // सम्प्रति = इदानीम् , प्रियाविरहितः / प्रियया परिभुक्ते प्रियापरिभुक्ते = प्रियाधिवासिते / प्रियावस्थानमनोज्ञे / मुहूर्त = क्षणमात्रम् / तस्या इति / शिलायां = शिलापट्टे / तस्याः = प्रियायाः। शरीरेण = वपुषा / लुलिता= इतस्ततो विक्षिप्ता, परिमर्दिता, म्लाना च / पुष्पाणि प्रकृतानि यत्र सापुष्पमयी = कुसुमकल्पिता / इयं = पुरतो दृश्यमाना / नलिन्याः = कमलिन्याः / सुन्दर नयनों वाली अपनी प्यारी के अङ्गुलियों से ढके गए, 'नहीं नहीं, रहने दो', ऐसे मधुर अक्षरों से, तथा घबड़ाहट से युक्त, पीछे की तरफ घुमाए हुए, मुख को किसी प्रकार उठाकर भी मैं वारंवार पूरा 2 चुम्बन नहीं कर सका // 38 // हा!, अब कहाँ जाऊँ ? क्या करूँ ? / अथवा अपनी प्रिया के संभोग व सम्पर्क से मनोहर, सुखद इस लतागृह में ही थोड़ी देर-दो घड़ी-बैहूँ। (चारों ओर देखकर-) इधर तो इस शिला पर यह मेरी प्रिया के शरीर से लुलित ( परिम्लान, चीथी) हुई फूलों की सेज दीख रही है, और इधर कमलिनी के पत्ते पर लिखा
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy