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________________ 622 ] [ काव्यषट्कं वियोगिनीमैक्षत दाडिमीमसौ प्रियस्मतेः स्पष्टमुदीतकण्टकाम् / फलस्तनस्थानविदोर्णरागिह . द्विशच्छुकास्यस्मरकिंशुकाशुगाम् // 83 / / स्मरार्धचन्द्रेषुनिभे ऋशीयसां स्फुटं पलाशेऽध्वजुषां पलाशनात् / स वृन्तमालोकत खण्डमन्वितं वियोगिहृत्खण्डिनि कालखण्डजम् / / 84 / / नवा लता गन्धवहेन चुम्बिता करम्बिताङ्गी मकरन्दशीकरैः / / दृशा नृपेण स्मितशोभिकुड्मला दरादराभ्यां दरकम्पिनी पपे // 85 / / विचिन्वतीः पान्थपतङ्गहिंसन ___रपुण्यकर्माण्यलिकज्जलच्छलात् / व्यलोकयच्चम्पककोरकावली: स शम्बरारेबलिदीपिका इव // 86 / / अमन्यतासौ कुसुमेषगर्भगं परागमन्धकरणं वियोगिनाम् / स्मरेण मुक्तेषु पुरा पुरारये तदङ्गभस्मेव शरेषु संगतम् / / 87 / / पिकाद्वने शृण्वति भृङ्गहुंकृत दशामुदञ्चत्करुणे वियोगिनाम् / अनास्थया सूनकरप्रसारिणी ददर्श दून: स्थलपद्मिनी नलः / / 88 / / रसालसाल: समदृश्यतामुना स्फुरविरेफारवरोषहुंकृतिः। 25
SR No.004484
Book TitleKavyashatakam Mulam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1991
Total Pages1014
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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