________________ पद्य जोतानी साथे क्या काव्यनुं छे ते पण जाणी शकाय अने विशेष टीका वैगेरे जोवानी जरूर जणाय तो ते काव्यनी टीका वि० जोइ शकाय. एक साथे काव्यो लेवाथी ग्रन्थ मोटो थइ जाय परन्तु जरूरीपातनी दृष्टिए से जरूरी छे. आ रीते जैन काव्यो आदि माटे पण प्रयत्न करवानी विचारणा छे. ते माटे प्रयत्न चालु छे. अनेकार्थ संग्रह टीका 14000 श्लोक प्रमाण संपादन थया पछी मूल ग्रन्थ- पण कण्ठस्थ करवा आदि माटे जरूरी जणाता गुजराती भाषातर कयु अने ते पण प्रगट थइ गयं छे. आ काव्यो नवलकथा रूपे के तेना भाषान्तरो वाचवा रूपे नथी. कर्ता अने टीकाकारोए प्रा काव्यो द्वारा व्याकरण साहित्य, शब्दो-कोष पर्याये, समासो व्यत्पत्तिग्रो, अलंकारो, बन्धो छन्दो विगरेनु ज्ञान प्रगट कयु छे. अने तेना साधन रूपे उदाहरणो रूपे पा काव्यो, अध्ययन जैन संघमां थाय छे. मति मंदता, समयनो अभाव, साधनोनी प्रतिकुलता, उत्साह अने रसनी न्यूनता पा बधा कारणो थी अभ्यास पण खण्डित थाय छे. परीक्षानी दृष्टि थी अभ्यास करनारा तो वास्तविकता पामी शक्ता नथी. पूर्वना महापुरुषोए जे काव्यो चरित्रो विगेरे रच्यां छे ते जोतां तेमनी केटली मतिनी तिव्रता हशे? केवो क्षयोपशम दृशे ? केटली अप्रमत्तता हशे? केवी कठिनतामां पण केटलो ऊंडो अभ्यास कर्यो हशे? साधनोनी खामी वच्चे पण मरजीवा बनीने तेमणे अगाध खेडाण करीने उडु रहस्य मेलवी अकाट्य अने स्थिर लखाणो कर्यां छे. आजनी अर्थ लक्षी अने प्रमाद भरी केलवणीमां नूर ज हणाइ गयुं छे. त्यां वधु शुं प्राशा रखाइय शास्त्रना अध्ययन कर.