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________________ (4) शिशुपालवधम् :: नवमः सर्गः ] [ 477 .. निलयाय शाखिन इवाह्वयते ददुराकुलाः खगकुलानि गिरः // 4 // उपसंध्यमास्त तनु सानुमतः शिखरेषु तत्क्षणमशीतरुचः / करजालमस्तसमयेऽपि सता मुचितं खलूच्चतरमेव पदम् // 5 / / प्रतिकूलतामुपगते हि . विधौ विफलत्वमेति बहुसाधनता। अवलम्बनाय दिनभर्तुरभून्न पतिष्यतः करसहस्रमपि / / 6 / / नवकुङकुमारुणपयोधरया ___स्वकरावसक्तरुचिराम्बरया। अतिसक्तिमेत्य वरुणस्य दिशा भृशमन्वरज्यदतुषारकरः // 7 // गतवत्यराजत जपाकुसुम स्तबकद्युतौ दिनकरेऽवनतिम् / बहलानुरागकुरुविन्ददल प्रतिबद्धमध्यमिव दिग्वलयम् / / 8 / / द्रुतशातकुम्भनिभमंशुमतो वपुरर्धमग्नवपुषः पयसि / रुरुचे विरिञ्चिनखभिन्नबृह ज्जगदण्डककतरखण्डमिव // 6 // अनुरागवन्तमपि लोचनयो र्दघतं वपुः सुखमतापकरम् / / 25 . निरकासयद्रविमपेतवसं वियदालयादपरदिग्गणिका // 10 //
SR No.004484
Book TitleKavyashatakam Mulam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1991
Total Pages1014
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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