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________________ द्वितीयो देवविभागः 45 वैरोट्या' 3 संज्ञका देवी, अच्छुप्ता१४ मानसी१५ तथा / महामानसिका१६ चेति, कथ्यन्ते ज्ञानिभिः किल // 341 // ___* सरस्वतीदेवीनामानि * देवी सरस्वती' ब्राह्मी, श्रुतदेवी च भारती / वाग् गो वाणी तथा गौ श्च, भाषा च वचनं तु वै // 342 // भाषितं भरिणतं चैव, जल्पितं लपितं वचः / ध्याहार* श्चाभिधानं स्या-दुदितं गदितं तथा // 343 // * वाक्य-पदयो लक्षणम् * सविशेषरणमाख्यातं, वाक्यं स्त्याद्यन्तकं पदम् / * प्रागमनामानि * प्रागम' श्चापि सिद्धान्तः२, राद्धान्त समय स्तथा // 344 // प्राप्तोक्ति श्च कृतान्तो वै, नामानि तु विशेषतः / प्राचाराङ्गा'ह्वयं सूत्र-कृतं थानाङ्गसंज्ञकम् // 345 // . चतुर्थं समवायाङ्ग, भगवत्यङ्गसंज्ञकम् / ज्ञाताधर्मकथाङ्ग वै, उपाशका ऽन्तकृदशाः // 346 / / अनुत्तरोपपातिक -दशाङ्ग नवमं तथा। प्रश्नव्याकरणाङ्ग१० वै, विपाकाङ्ग११ श्रुतं तथा // 347 //
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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