________________ ( 50 ) ES "पद्यामृतमयकोषः, वृद्धिवंदुष्यवर्द्धकः / गुटिकेव सदा सेव्यः, कण्ठस्थः सिद्ध निर्मितः // 1 // देवतादेवभाषायां, भासितो भास्करोपमः। विद्वत्सर सिवदतां,पण्डितोक्ति व्यनक्ति च / / 2 // मुनिप्रवर्येण सुशीलनाम्ना, सुनिमितेयं चं सुशोलमाला। हृद्यर्जनः स्वेहदि संस्थितोय मानन्ददादुष्टजत्तिदा च // 3 // श्रीकान्तठक्क र इति प्रठितेन सम्यक्, ' कोषान्तबोचनकृतात्र सुशीलमाला। तेनातिरम्य वचनेन सुधन्यवाद विष्वक प्रयच्छति मुदा सुमतिप्रसूनम् // 4 // AssistARSASLILUESLISSUEnwLISAASussust जयपुर दिनाङ्क / श्रीकान्त ठक्कर (ज्योतिषाचार्य, पोष्टाचार्य) भू० पू० व्याख्याता, महाराजा / संस्कृत कॉलेज, जयपुर) 8-10-76 शाशयाशशशशशशशशशा