________________ [ 46 ] - = शुभ संदेश - परमपूज्य आचार्य भगवन्त श्रीसुशीलसूरिजी महाराज साहेबे कलिकाल सर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य रचित अभिधानचिन्तामणि कोषनुं पालंबन लइने 'सुशीलनाममाला' नुं सरल संस्कृत भाषामां सर्जन करीने महान सुकृत करेल छ / ___मारं सद्भाग्य छ के-पू० श्री प्राचार्य भगवंतनुं ज्यारे जोधपुरमा चातुर्मास हतं त्यारे तेज वरसे खरतर गच्छ उपाश्रय कुशलभुवनमा माएं चातुर्मास हतुं / ___ अने या कारणे समय समय पर पू० प्राचार्य भगवंत नो सहयोग दरेक शुभकार्यमां मळ तो रह्यो। प्राचार्य भगवंतमां सरलता भद्रीकता निराभिमानपणुं तथा समन्वयता आदि अनेक गुणोंने कारण हुँ तेस्रोश्रीथी खूब प्रभावित बन्यो। तेोश्री संघना महान् प्राचार्य होवा छतां पण तेस्रोश्रीए मारा जेवा सामान्य साधु प्रत्ये पण जे आत्मियता राखी ते कयारे पण भूली शकाय तेम नथी। पूज्य आचार्य भगवंतना चरणो वंदन करोने शासनदेव प्रत्ये प्रार्थना कर छु के प्रापश्री रचित मा 'सुशीलनाम - माला' विद्वद् वर्गमां खूब व्यापक बने अने अनेक प्रात्माप्रोप्रा द्वारा ज्ञान उपार्जन करीने प्रात्म कल्याण करे, एज अभ्यर्थना। श्री वीर सं० 2503 / लि. जयानंदमुनि विक्रम सं० 2033 ! ठि०-श्रीखरतर गच्छ उपाश्रय कात्तिक शुद-३, सोमवार लोढों का वास, दिनाङ्क 25-10-76 पाली ( राज)