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________________ [ 45 ] 22222222222222222222222 है विमल भावना है वस्तुतः कोष साहित्य जगत् को अभूतपूर्व कुञ्जी है। विविध प्रकारी भावार्थ की भूमिका निभाने का गौरव विश्व में कोष को प्राप्त है। कोष का प्रभाव अपना अलौकिक स्थान भी रखता है / अभिधान चिन्तामणी कोष श्रीमद्हेमचन्द्राचार्य को असाधारण कृति है और उसी के पालम्बन को लेकर के श्रीमद् प्राचार्य वर्ग श्रीसुशीलसूरीश्वरजी म. ने "सुशील नाममाला" का सुंदर निर्माण किया है वह वस्तुतः उपादेय पाथेय की तरह साहित्य जगत् का प्राधार रहेगा और असीम अवधि तक जन जगत् का मार्गदर्शक बनेगा ऐसी विमल भावना। मोदरा मुनिजयन्तविजय दिनाङ्क . ( मधुकर ) 6-12-76 [ तपागच्छीय त्रिस्तुतीय मुनिराज का यह अभिप्राय है ] 222222222205RRRRRRR
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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