________________ ( 41 ) ARE ARREARREARRANARARIAARRERAKARNAT प्रापे जे प्रशसनीय अभिनव कार्य प्रथाग परिश्रम लइने करेल छे ते अनुमोदनीय अने अभिनंदनीय छे. प्रापश्री सुखशातामा हशो. [ जेनोश्री-स्व० प० पू० प्रा० श्रीमद्बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म० सा० ना समुदायना छे, अने वर्तमानमा प्राचार्यपद थी समलंकृत प्रा० श्रीपद्यसागरसूरिजी म० ना नामथो सुप्रसिद्ध छ.] अमदावाद-१३. . ! सेवक पद्मसागर जैन उपाश्रय उसमानपुरा KKRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRR दिनाडु 16-10-7E ARAKHAR RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRREARRIERRANA waywww SABKESARIANS