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________________ [ 30 ] ॥नँ अर्ह ऐं नमः // "सुशीलनाममाला" भाषाव्यवहार माटे पहेली जरुरीयात शब्दज्ञानती छे. र शब्दज्ञाननो खजानो कोषग्रंथोमा संकलित छे. समर्थ विद्वानने पण जो कोषग्रंथोनं अध्ययन सुचाररपे न होय तो प्रसंगे अंखावं पडे छे. . सर्व विद्याप्रोनो प्रकाश पण कोष ग्रंथोनी मदद विना कयांय पहोंची शकतो नथी. वर्तमानमा उपलब्ध कोष ग्रंथोनी श्रेणिमा एक नवीन प्रकाश किरणरुप, स्वनाम धन्य “सुशीलनाममाला" कोष अन्य परम विद्वद्वर्य प्राचार्य श्रीविजयसुशीलसूरीश्वरजी महाराजे रचेल प्रकाशित थइ रह्यो छे तेनी भूरि अनुमोदना. कर्ताए अनोखी शैलीधी लगभग प्रचलित सर्व शद्वोनो संग्रह या ग्रंथमा सुन्दर अने व्यवस्थितपणे कर्यो छे. श्रा संस्कृत कोष ग्रन्थ विद्वान् पुरुषो अने संस्कृत अभ्यासोनो माटे महान् उपकारक बनी रहे एज शुभ अभिलाषा / - पुना सिटी लि. विजयप्रेमसूरि दिनाङ्क विजयसुबोधसूरि 27-10-76 / विजयलब्धिसूरि र [ ए त्रणे प्रा० म० स्व० 50 पू० प्रा० श्रीमद्विजयभक्तिसूरी श्वरजी म. सा० ना समुदायना छे. ] PN#22222222222222222222
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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