________________ ( 26 ) कलिकाल सर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य विरचित श्रीअभिल धानचिन्तामणि कोश के आधार पर जो यह 'सुशीलनाममाला' नाम की पुस्तिका छप चुकी है कर संदेश पढकर अत्यधिक प्रानन्द का विषय हुआ है। कारण कि-साहित्य संशोधनादि कार्य में कामयाब होगा, पण्डितों का कार्य सराहनीय होगा। ग्रन्यकर्ता प्राचार्य श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी द्वारा ऐसे ही अनेकानेक ग्रन्थ प्रकाशित हो। यही कामना करते है। किमधिकम्.......... आउवा ( राज०) विजयहिमाचलसूरि दिनाङ्क जैन उपाश्रय 7-10-76