________________ [ 8 ] 9999999999999999 'सुशीलनाममाला' अभिधानचिन्तामणि कोशनी जग्याए आपना हाथे बहार पडे छे. एज विद्वानो शिष्यनी परंपरामां गौरव ने उन्नतमुखे प्रशंसा करवा लायक छे. बाकी वाचकवर्ग तेनो लाभ उठावी प्रशंसा करे त्यारे ज ग्रन्यकर्तानी शोभा छे. . सूर्योदय थतो होय तो कोइने 'आंगळी बताववानी जरुरत रहेती नथी, तेनी मजा तो प्रांख ज लूटो शके छे. ए तो पुस्तकनो अभ्यास करी विद्यार्थीश्रो ज प्रशंसा करी जाणे एज। राजा पण कोश विनानो राज्य करी शकतो नथी तेम पंडित पण कोशविनानो कवि बनी शकतो नथी एटलु लखी विरमु छु। अमदाबाद-१ दिनाङ्क 14-10-76 प्रियंकरसूरि मांडवीनी पोळ जन उपाश्रय 9595959595959599999999999999999)