________________ [ 7 ] वन्दना. पत्र मल्यो. "राजानी जेम विद्वान्ने कोषनी अभिवृद्धि प्रानन्द प्रापनारी थाय छे. कोशमां-अर्थबोधक सत्त्व जेटलु विशेष होय तेटलु तेनु मूल्यांकन विशेष रहे छे. एवं प्रस्तुतमां 2 सधायु हशे !" पासो वदि 3 दिनांक : 13-10-76 विजयधर्मधुरंधरसूरि जैनउपाश्रय-पांजरापोळ प्रमदाबाद-३८०००१ + + +